Kakbhushundi Ramayana: रामानंद सागर की “रामायण” की ऐतिहासिक सफलता किसी से छिपी नहीं है. इस शो ने टेलीविजन की दुनिया में क्रांति ला दी, मनोरंजन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और दूरदर्शन की लोकप्रियता को अभूतपूर्व स्तर पर पहुंचा दिया. अब, दूरदर्शन सागर वर्ल्ड मल्टीमीडिया के साथ मिलकर एक ऐसी कथा प्रस्तुत करने जा रहा है, जो देशभर में अपनी अमिट छाप छोड़ेगी. एक रोमांचक सहयोग में, “सिंघम अगेन” के निर्माताओं ने “रामानंद सागर काकभुशुण्डि रामायण” के लिए एक दिलचस्प वीडियो तैयार किया है, जो दूरदर्शन पर प्रसारित होगा. यह सीरीज़ न केवल हमें ज्ञानवर्धक तथ्यों से अवगत कराएगी बल्कि इस प्रतिष्ठित कथा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करेगी. दर्शकों को एक अद्भुत दृश्यात्मक अनुभव का अहसास होगा, जिसमें कई ऐसे क्षण होंगे जो उनके दिलों में गहराई तक बसे रहेंगे.
यह शो दर्शकों में एक पुरानी याद को ताजा करता है, जिसमें उच्च तकनीक के वीएफएक्स और संगीत का सम्मिश्रण है जो एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध अनुभव प्रदान करेगा. “रामानंद सागर काकभुशुण्डि रामायण - अनकही कहानियां,” सागर वर्ल्ड मल्टीमीडिया द्वारा निर्मित, 18 नवंबर 2024 से दूरदर्शन (डीडी1) पर प्रसारित होगा, सोमवार से शुक्रवार शाम 7:30 बजे. निर्माता और क्रिएटिव डायरेक्टर शिव सागर ने शो के बारे में अपने उत्साह को साझा करते हुए कहा, “हम ‘रामायण' की इन अनकही कहानियों को दर्शकों के लिए एक रोमांचक तरीके से प्रस्तुत करने को लेकर बेहद उत्साहित हैं. यह सीरीज़ उन्नत तकनीक, विशाल प्रोडक्शन, आकर्षक संगीत और अनजानी बातों को सामने लाने का संगम है.”
इस सीरीज़ का निर्देशन और निर्माण रामानंद सागर के पोते शिव सागर ने किया है, जिन्होंने 1987 में इस महाकाव्य को जीवंत किया था और दुनिया भर में लाखों लोगों के दिलों को जीता. एक समय में, जब भारत में टेलीविजन का आरंभिक दौर था, रामानंद सागर की “रामायण” एक बिलियन से अधिक वैश्विक दर्शकों के साथ सबसे ज्यादा देखी जाने वाली टेलीविजन सीरीज़ बन गई. इसे 65 से अधिक देशों में प्रसारित किया गया है और यह पहली बार 25 जनवरी 1987 को प्रसारित होने के बाद से अब तक ऑन-एयर है.
सागर वर्ल्ड मल्टीमीडिया, शिव सागर के नेतृत्व में, प्रभावशाली कंटेंट बनाने की इस विरासत को जारी रखे हुए है. शिव सागर के पिता, प्रेम सागर, जो सागर आर्ट्स के मार्केटिंग डायरेक्टर और पुरस्कार विजेता सिनेमैटोग्राफर थे, ने 1985 में “विक्रम और बेताल” नामक पुरस्कार विजेता सीरीज़ का निर्देशन किया था. यह सीरीज़ “रामायण” का पूर्ववर्ती बनी और इस नए जॉनर के लिए एक टेस्ट मार्केटिंग प्रयास था, जो उस समय अस्तित्व में नहीं था. आइए हम “रामानंद सागर काकभुशुण्डि रामायण” के जादू और भव्यता को फिर से जीएं और एक ऐसी कहानी के साथ रोशनी के त्योहार का जश्न मनाएं, जो मूल महाकाव्य की तरह ही कालातीत और अविस्मरणीय होने का वादा करती है.