90 के दशक के इस शो को देखने के लिए लोग छोड़ देते थे अपना काम-धाम, टाइटल ट्रैक के दीवाने थे बच्चे

90 के दशक में दूरदर्शन पर कई ऐसे शोज आते थे जो लोगों का खूब एंटरटेनमेंट करते थे. उन्हीं में से एक पोटली बाबा की था. जिसका टाइटल ट्रैक आज भी 90 के दशक के बच्चों को याद है.

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पोटली बाबा की वो शो जो हर बच्चे का इंतज़ार बन गया था
नई दिल्ली:

90 का दशक उन लोगों के लिए बेहद खास रहा है जो उस दौर में बच्चे थे. उस समय टीवी का मतलब ही दूरदर्शन हुआ करता था और हर घर में शाम होते ही एक जैसे शोज चलने लगते थे. 'शक्तिमान', 'विक्रम-बेताल', 'चंद्रकांता' जैसे शोज बच्चों और बड़ों दोनों के फेवरेट थे. यही वजह थी कि उस वक्त के लोग पूरे दिन टीवी देखना पसंद करते थे. इन्हीं के बीच एक ऐसा शो भी था, जिसे देखने के लिए लोग अपना काम तक छोड़ देते थे, उस शो का नाम था ‘पोटली बाबा की'.

क्या खास था 'पोटली बाबा की' में?

1991 में टेलीकास्ट हुआ ये शो बच्चों के लिए कहानियों की एक जादुई दुनिया खोलता था. इस शो में गुलजार साहब का टच साफ नजर आता था क्योंकि इसका टाइटल सॉन्ग 'आया रे बाबा' खुद उन्होंने लिखा था. शो में अलीबाबा और चालीस चोर, दादी-नानी की कहानियों जैसी कई दिलचस्प कहानियां दिखाई जाती थीं. बच्चों के लिए ये शो सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक अनुभव था.

टाइटल ट्रैक की दीवानगी

इस शो का टाइटल ट्रैक इतना प्यारा और कैची था कि बच्चे उसे बार-बार गुनगुनाते रहते थे. आज भी अगर कोई वो गाना छेड़ दे, तो उस दौर के लोग तुरंत उसे पहचान लेते हैं और मुस्कुरा उठते हैं.

फिर से वायरल हुआ शो का वीडियो

हाल ही में शो का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और लोगों की यादें ताजा हो गईं. किसी ने लिखा  "बचपन में ये गाना खूब गाते थे' तो कोई बोला, "ये मेरा सबसे फेवरेट शो था". लोगों ने इमोजी के साथ अपने बचपन को याद करते हुए इमोशनल कमेंट्स किए..

दूरदर्शन के सुनहरे दिन

'पोटली बाबा की' के अलावा भी उस समय दूरदर्शन पर ऐसे शोज आते थे जो बच्चों को जोड़कर रखते थे. जैसे शक्तिमान, अलिफ लैला, विक्रम और बेताल. उस वक्त इन शोज़ का इंतजार टीवी के सामने बैठकर किया जाता था, और जैसे ही म्यूजिक बजता, पूरा परिवार देखना शुरू कर देता.

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