पुरानी यादों को ताजा कर देगा यह विज्ञापन, रसोई में गर्मागर्म पूड़ियां तलती महिला, साथ में है पकवानों से जुड़ी यह खास चीज- पहचाना क्या

पुराने विज्ञापनों के क्या कहने. उनके जरिये एक अलग और अनदेखी दुनिया सामने खुलती है. इस पुराने विज्ञापन में एक ऐसी चीज है जिसके बिना जिंदगी अधूरी हुआ करती थी. पहचाना क्या?

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एक ऐसा विज्ञापन जो पुरानी यादों को कर देगा ताजा
नई दिल्ली:

ये बात उन दिनों की है जब घर हर घर की रसोई में फ्रिज नहीं हुआ करता था. उन दिनों घी तेल खाना सेहत के लिए हानिकारक नहीं होता था. कोई खास मौका हो तो घर में पूड़ा हलवा नहीं बने हो ही नहीं सकता था. फिर होली पकौड़े तलने हों या गुजिया या फिर घर में रेगुलर सब्जी ही बननी हो, एक ऐसा ब्रांड था जिसका घी इस्तेमाल होता ही होता था. वो दौर ही अलग था, उस समय खाने से पहले उसमें मौजूद कैलॉरी नहीं देखी जाती थी. फिर हमारे जायकेदार व्यंजनों की जगह उस समय बर्गर और पिज्जा ने नहीं ली थी. हम आपके लिए 1970 के उसी सुनहरे दौर का एक विज्ञापन लाए हैं, जिसमें 1970 के दशक का किचन है, जिसमें एक महिला पूरी मग्न होकर पूडि़यां बना रही हैं. लेकिन इस फोटो में एक और चीज बहुत ही खास है जिसके बिना एक समय जिंदगी अधूरी रहा करती थी. 

इस विज्ञापन को इंडियन हिस्टोरिक पिक्स नाम के ट्विटर हैंडल ने शेयर किया है. इसने इसके साथ लिखा है, '1970 के दशक में, रसोई में पूड़ियां पकाती महिला.' इस फोटो में देखा जा सकता है कि महिला कड़ाही में पूडि़यां तल रही हैं औपर पास पड़ी थाली में पूड़ियां रखी भी हुई हैं. लेकिन इस विज्ञापन में एक डिब्बा देखा जा सकता है जिसे देखकर लगता है कि वह कह रहा है कि मुझे भूल गए क्या.

गैस के पास आचार का मर्तबान है तो उसके पास ही पीले रंग का डालडा का डिब्बा है. डालबा के इस डिब्बे को देखते ही गुजरे जमाने की यादें ताजा हो जाती हैं. अगर आपने उस दौर को देखा है और डालडा का स्वाद चखा है तो संभवत: आप भी उस दौर में पहुंच गए होंगे. वैसे भी डालडा का ना सिर्फ प्रिंट विज्ञापन काफी लोकप्रिय था, बल्कि टीवी पर आने वाले इसके विज्ञापन को भी खूब देखा जाता था. इस पर एक कमेंट आया है कि डालडा किचन का किंग हुआ करता था. एक कमेंट आया कि डालडा एक इमोशन है और 2000 के दशक तक यह छाया रहा.

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