World Animal Day: दुनियाभर में 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस (World Animal Day) यानी कि वर्ल्ड एनिमल डे मनाया जाता है. वर्ल्ड एनिमल डे (Animal Day) का मूल उद्देश्य विलुप्त हुए प्राणियों की रक्षा करना और मानव से उनके संबंधों को मजबूत करना है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अक्टूबर 4 को असीसी के सेंट फ्रांसिस के सम्मान में चुना गया है. जो जानवरों के लिए पशु प्रेमी और संरक्षक संत थे. पशु अधिकार संगठनों, व्यक्तियों और सामुदायिक समूहों ने इस दिन पर दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया हैं और अब भी किये जा रहे हैं. इस दिन पशुओं के अधिकारों और उनके कल्याण आदि से संबंधित विभिन्न कारणों की समीक्षा की जाती है. अंतरराष्ट्रीय पशु दिवस (Animal Day 2021) के अवसर पर जनता को एक चर्चा में शामिल करना और जानवरों के प्रति क्रूरता, पशु अधिकारों के उल्लंघन आदि जैसे विभिन्न मुद्दों पर जागरूकता पैदा करना है.
World Animal Day 2021: जानिए वर्ल्ड एनिमल डे का इतिहास
विश्व पशु दिवस का इतिहास (History Of World Animal Day)
माना जाता है कि पहली बार विश्व पशु दिवस (World Animal Day) का आयोजन हेनरिक जिमरमन ने 24 मार्च, 1925 को जर्मनी के बर्लिन में स्थित स्पोर्ट्स पैलेस में किया था, लेकिन साल 1929 से यह दिवस 4 अक्टूबर को मनाया जाने लगा. शुरू में इस आंदोलन को जर्मनी में मनाया गया और धीरे-धीरे स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया (वर्तमान समय के चेक गणराज्य और स्लोवाकिया) जैसे आसपास के देशों में भी इसकी लोकप्रियता जा पहुंची. 1931 में फ्लोरेंस, इटली में आयोजित अंतररार्ष्ट्रीय पशु संरक्षण सम्मेलन ने अंतररार्ष्ट्रीय पशु दिवस के रूप में 4 अक्टूबर को मनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया और अनुमोदित किया. यूनाइटेड नेशंस ने 'पशु कल्याण पर एक सार्वभौम घोषणा' के नियम व निर्देशों के अधीन अनेक अभियानों की शुरुआत की.
World Animal Day: जानिए वर्ल्ड एनिमल डे का महत्व
विश्व पशु दिवस का महत्व (Importance Of World Animal Day)
विश्व पशु दिवस का उद्देश्य पशु कल्याण मानकों में सुधार करना और व्यक्तियों तथा संगठनों का समर्थन प्राप्त करना है. इस दिवस #WorldAnimalDay का मूल उद्देश्य विलुप्त हुए प्राणियों की रक्षा करना और मानव से उनके संबंधो को मजबूत करना है. अंतरराष्ट्रीय पशु दिवस #AnimalDay इस धारणा पर काम करता है कि प्रत्येक जानवर एक अनोखा संवेदनात्मक प्राणी है और इसलिए वह संवेदना और सामाजिक न्याय पाने के भी योग्य है. किसी प्राकृतिक आपदा के समय भी इन जानवरों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता था और उनकी सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती जाती है जो गलत है.