घंटों बेकार की रील देखने में बीता रहे हैं तो आपको हो गया है Brain Rot, एक्सपर्ट ने कहा यह है बेहद खतरनाक

लोगों के मोबाइल पर घंटों की बेमतलब घंटों रील देखते रहने की आदत को ब्रेन रॉट कहा जाता है. इस बढ़ते ट्रेंड के कारण ऑक्स फोर्ड यूनिवर्सिटी ने ब्रेन रॉट शब्द को वर्ड ऑफ द इयर चुना है.

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ब्रेन रॉट के शिकार हो रहे हैं बहुत से लोग.

What do experts think about Brain Rot: आजकल हर किसी के हाथ में मोबाइल होना आम है. भले ही मोबाइल बहुत काम की चीज है और इसके बिना अब लाइफ की कल्पना करना भी मुश्किल है लेकिन इसके कारण कई बुरी आदते भी लग रही हैं. सेहत पर मोबाइल के खतरनाक असर की चर्चा होती रहती है. इसके साथ ही एक और शब्द आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है. लोगों के मोबाइल पर घंटों की बेमतलब घंटों रील देखते (Mobile watching) रहने की आदत को ब्रेन रॉट (Brain Rot) कहा जाता है. इंटरनेट की दुनिया में सोशल मीडिया इंस्टाग्राम, फेसबुक से लेकर टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म पर बेकार के पोस्ट की कमी नहीं होती है. ऐसी पोस्ट का कोई अर्थ नहीं होता है लेकिन लोग इन्हें स्क्रॉल करते रहते हैं. इस बढ़ते ट्रेंड के कारण ऑक्स फोर्ड यूनिवर्सिटी ने ब्रेन रॉट शब्द को वर्ड ऑफ द इयर चुना है. आइए जानते हैं ब्रेन रॉट पर विशेषज्ञों की क्या राय है (What do experts think about Brain Rot). 

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ब्रेन रॉट में तेजी से वृद्धि

ब्रेन रॉट के बारे में आई एक रिपोर्ट अनुसार वर्ष 2023 से 2024 के बीच इस शब्द का यूज काफी ज्यादा बढ़ गया है. इस शब्द के यूज में एक साल के अंदर 230 फीसदी की वृद्धि के कारण ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने ब्रेन रॉट शब्द को वर्ष 2024 का वर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया है. यह ऐसी आदत है जिससे न केवल हमारा समय बरबाद होता है बल्कि इसका असर हमारे मेंटल एबिलटी पर और सोचने समझने की क्षमता पर भी पड़ता है.

1854 में पहली बार हुआ यूज

भले ही ब्रेन रॉट शब्द अभी चर्चा का विषय बना हुआ है लेकिन इस शब्द का पहली बार यूज 1854 में हेनरी डेविड थोरो नामक लेखक ने अपनी किताब वाल्डेन में किया था. उन्होंने इस शब्द को मानसिक और बौद्धिक क्षमता में गिरावट बताने के लिए किया था. फिलहाल यह शब्द जेन जेड और जेन अल्फा यानी सबसे नई पीढ़ी के युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हुआ है. इस शब्द का यूज सोशल मीडिया पर बिना मतलब के रील्स देखने के लिए किया जा रहा है.

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कितना खतरनाक है ब्रेन रॉट

ब्रेन रॉट का मतलब है दिमाग का सड़ना. विशेषज्ञ भी इस आदत के असर को खतरनाक बता रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार मोबाइल पर घंटों बिना मतलब की रील्स देखने का असर हमारी ब्रेन के फंक्शन करने की क्षमता पर पड़ सकता है. इस तरह के रील्स को देखते रहने के कारण हमारे ब्रेन की सोचने समझने की क्षमता कम होने लगती है और वह सतही चीजों तक सीमित होने लगता है जिसका असर विश्लेषण करने की हमारी क्षमता पर पड़ सकता है. कई बार पेरेंट छोटे बच्चों को बिजी रखने के लिए मोबाइल थमा देते हैं. युवा भी समय काटने या बोरियत से बचने के लिए मोबाइल पर बेमतलब की चीजे देखते रहते हैं. इन सब का असर दिमाग पर पड़ता है.

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बचने के उपाय

मोबाइल के बिना जीवन नहीं चल सकता और कभी न कभी हम सभी स्क्रॉल करते हैं. मोबाइल पर बेमतलब की रील्स देखेने की जगह कुछ सीखने या समझने वाले कंटेट देखना चाहिए. इससे हमें कुछ सीखने का मौका भी मिलेगा और ब्रेन रॉट से बचने में मदद भी मिल सकती है. इसके अलावा मोबाइल स्क्रॉल के समय पर कंट्रोल रखना जरूरी है. हर किसी को इसके लिए समय तय कर लेना चाहिए. एक बार में कितनी देर तक मोबाइल पर स्क्रॉल करना है इसे लेकर अपने लिए नियम बना लें. हर दिन कुछ समय बगैर मोबाइल के गुजारने का नियम भी इसके खतरनाक प्रभावों से बचने में मदद कर सकता है. इस तरह के कुछ उपायों को अपनाकर हम ब्रेन रॉट के प्रभावों से बच सकते हैं.  

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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