Garba Night Special: नवरात्रि आते ही रंग-बिरंगे कपड़े, चमचमाते आभूषण और ढोल की थाप पर थिरकते लोग…यह नज़ारा किसी को भी अपनी ओर खींच लेता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गरबा में तीन ताली बजाने की परंपरा क्यों है? यह सिर्फ़ एक नृत्य नहीं, बल्कि मां दुर्गा की भक्ति और भारतीय संस्कृति की गहराई से जुड़ी कहानी है.
तीन ताली का आध्यात्मिक रहस्य (three claps garba)
कहा जाता है कि, गरबा की तीन ताली सिर्फ़ नृत्य का हिस्सा नहीं है. यह माता दुर्गा के तीन रूपों...सत्व, रज और तम का प्रतीक है. साथ ही इसका संबंध ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति से भी माना जाता है. कहानी के अनुसार, जब महिषासुर राक्षस के आतंक से देवता परेशान हुए, तो उन्होंने देवी दुर्गा को आह्वान किया. मां ने लगातार नौ दिन युद्ध करके महिषासुर का वध किया. दसवें दिन यानी विजयादशमी पर वे शांत हुईं और तभी से दशहरा मनाया जाता है. इसी वजह से गरबा की तीन ताली को त्रिदेव की शक्ति और मां दुर्गा की विजय से जोड़ा जाता है.
परंपरा में छिपा सांस्कृतिक संदेश (Garba 3 Tali Meaning)
गुजरात में गरबा सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि पूजा का रूप है. बड़े घेरे में मांडवी (दीपक या गरबी) रखकर भक्ति की जाती है. बुजुर्ग मानते हैं कि यह दीपक शक्ति और आशा का प्रतीक है. वहीं मुंबई और अन्य शहरों में कई बार परंपरा हल्की पड़ जाती है, क्योंकि बीच में लोग चप्पल या सामान रख देते हैं. बावजूद इसके, मुंबई में कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां गरबी रखकर पवित्र गरबा किया जाता है.
डांडिया का रहस्य (Why 3 claps in Garba)
डांडिया सिर्फ़ एक खेल नहीं, बल्कि प्रतीक है. इसे मां दुर्गा के महिषासुर-वध में प्रयुक्त तलवार से जोड़ा जाता है. वहीं दूसरी मान्यता यह भी कहती है कि डांडिया का संबंध भगवान श्री कृष्ण के रास-लीला से है. यानी चाहे गरबा हो या डांडिया, दोनों ही हमारी संस्कृति में भक्ति और उत्सव का अनोखा मेल हैं. गरबा की तीन ताली सिर्फ़ एक स्टेप नहीं, बल्कि देवी की शक्ति और हमारी परंपरा की कहानी है. नवरात्रि का असली आनंद तभी है, जब डांस के साथ भक्ति का भाव भी जुड़ जाए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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