सच्चे प्यार की मिसाल हैं भारत की ये ऐतिहासिक इमारतें

हमारा देश पर्यटक स्थलों, महलों, किलों से परिपूर्ण है, लेकिन भारत की कुछ ऐसी ऐतिहासिक इमारतें है, जो प्यार करने वालों के लिए मिशाल बनी हुई हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी प्यार के नगमे को सुनाती आ रही हैं. ये इमारतें प्रेमियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

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ताज महल ही नहीं बल्कि ये इमारतें भी हैं सच्चे प्यार की निशानी
नई दिल्ली:

स्मारक हमेशा इतिहास के महत्व को दर्शाती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में कई ऐसी ऐतिहासिक इमारतें भी हैं, जो इतिहास के पन्नों को याद दिलाने के अलावा प्यार का प्रतीक भी हैं. आज हम आपको इन्हीं में से कुछ ऐसी इमारतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका उल्लेख कई प्रसिद्ध किताबों में भी किया गया है, जिनके बारे में बहुत रूचि से पढ़ा और जाना जाता है. पुराने समय में अपने प्यार के लिए ही नहीं, बल्कि अपने प्यार को हमेशा के लिए जिंदा रखने के लिए भी कुछ निशानियों के तौर पर इमारतों का निर्माण कराया जाता था.

इतिहास में बने कुछ किले और महल आज भी आस्तित्व में हैं, जिन्हें सच्चे प्‍यार की मिसाल के रूप में संजोकर रखा गया है. इनमें से कुछ इमारतें प्रेम कहानियों की गवाह हैं तो कुछ प्रेम की कुर्बानी की दास्ता को समेटे हुए हैं. इन इमारतों का निर्माण कई शताब्दियों पहले करबाया गया था, जिनके बारे में आपने भी कभी न कभी सुना होगा. ये इमारतें प्रेमियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

ताजमहल (आगरा, उत्तर प्रदेश)

बचपन से लेकर अब तक आपने कभी न कभी ताजमहल की खूबसूरती और इसके बनने की पीछे की वजह के बारे में तो सुना ही होगा. मुगल सम्राट शाहजहां ने इस स्मारक को अपनी पत्‍नी मुमताज के लिए बनवाया था. 1631और 1648 बीच बनी ये इमारत प्यार की एक खूबसूरत दास्तां को बयां करती है. ये न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में प्रसिद्ध है, जिसका दीदार करने दुनियाभर से लोग यहां आते हैं. बता दें कि प्‍यार की मिसाल बना ताहमहल दुनिया के सात अजूबों में शुमार है. 

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मस्तानी महल (शनिवारवाड़ा किला, पुणे)

प्रथम बाजीराव और उनकी खूबसूरत दूसरी पत्‍नी मस्तानी का घर रह चुका ये महल महाराष्ट्र के पुणे शहर में है. बताया जाता है कि जब पेशवा बाजीराव के परिवार ने रानी मस्तानी को स्वीकार करने से मना कर दिया था, तब बाजीराव उन्हें शनिवारवाड़ा लेकर मस्तानी महल लेकर आए थे. कहा जाता है कि जितनी सुंदर बाजीराव की पत्नी मस्तानी थी, उतना ही सुंदर यह महल था. पेशवा बाजीराव ने 1730 में इस महल का निर्माण करवाया था. आज यह महल आस्तित्व में नहीं है, लेकिन इसके अवशेष अभी भी मौजूद हैं.

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चित्तौड़गढ़ किला (उदयुपर, राजस्‍थान)

भारत के सबसे बड़े किलो में से एक चित्तौड़गढ़ किले को 7वीं शताब्दी में बनवाया गया था. चित्तौड़गढ़ किला न केवल भारत में सबसे बड़े किलों में से एक है, बल्कि यूनेस्को की हेरिटेज साइट में भी इसे सूचीबद्ध किया गया है. चित्तौड़गढ़ किला रानी पद्मिनी और राजा रतन रावल सिंह की ऐतिहासिक प्रेम कहानी का प्रतीक है. इस महल का मुख्य आकर्षण रानी पद्मावती का तीन मंजिला महल है, जो कमल कुंड के किनारे बना है. यह महल बेहद भव्य है, जिसकी दीवारों पर की गई नक्काशी को देखने दुनियाभर से लोग यहां आते हैं.

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रूपमती मंडप (मांडू, मध्‍य प्रदेश)

मांडू के अंतिम स्वतंत्र शासक सुल्तान बाज बहादुर ने अपनी पत्नी रानी रूपमती के लिए रूपमती मंडप बनवाया था. यह किला मध्य प्रदेश के मांडू शहर में स्थित है. मनोरम दृश्य और वास्तुकला की वजह से पूरी दुनिया में प्रख्यात रूपमती मंडप प्रेमियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. बताया जाता है कि सुल्तान बाज बहादुर को मालवा की रानी रूपमती की मधुर आवाज से प्यार हो गया था. शासक ने रूपमती के आगे शादी करने का प्रस्‍ताव रखा, जिस पर रानी रूपमती ने एक शर्त रख दी. जिसके मुताबिक राजा एक ऐसे महल का निर्माण करेगा, जहां से वह अपनी प्यारी नर्मदा नदी को देख सकती हो, तो वह शादी करेगी. ऐसे रूपमती मंडप अस्तित्व में आया और यह उन दोनों की शाश्वत प्रेम कहानी का गवाह है.

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