Karwa Chauth 2025 for Unmarried Women: करवा चौथ की रात...सजी हुई थालियां, छलनी से झांकता चांद और दुआओं में डूबी सुहागिनें...ये नज़ारा हर साल खास होता है, लेकिन अब इस पारंपरिक व्रत में एक नया रंग जुड़ गया है. आजकल कई अविवाहित लड़कियां (Unmarried Girls) भी यह व्रत (Karwa Chauth Vrat) रख रही हैं...न सिर्फ परंपरा निभाने के लिए, बल्कि सच्चे प्यार और जीवनसाथी की कामना के लिए भी. पहले जहां इसे सिर्फ विवाहित महिलाओं का पर्व माना जाता था, वहीं अब मॉडर्न युवतियां भी इस रिवाज़ से खुद को जोड़ रही हैं. सोशल मीडिया पर कई युवा इन्फ्लुएंसर्स और सेलेब्स ने अपने फॉलोअर्स के साथ करवा चौथ व्रत के अनुभव साझा किए हैं, जिससे यह ट्रेंड युवाओं में तेजी से फैल रहा है.
क्यों रखती हैं अविवाहित लड़कियां करवा चौथ का व्रत? (Can unmarried girls fast Karwa Chauth)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ व्रत का संबंध पति की लंबी आयु और दांपत्य सुख से जुड़ा है. मगर आज की लड़कियां इस व्रत (Unmarried girl Karwa Chauth rules) को सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि इमोशनल और पॉज़िटिविटी से भरा रिवाज़ मानती हैं.
कई लड़कियां इसे 'सच्चे प्यार की प्रार्थना' (Karwa Chauth fasting rules) के रूप में रखती हैं, ताकि उन्हें एक समझदार और आदर्श जीवनसाथी मिले. वहीं, जिनकी सगाई हो चुकी है, वे यह व्रत ( karwa chauth vrat niyam) अपने भावी पति की लंबी आयु और रिश्ते की मजबूती के लिए करती हैं.
कुंवारी कन्याओं के लिए व्रत के नियम (unmarried girls fasting tips)
अगर आप भी यह व्रत रखना चाहती हैं, तो नियम थोड़े अलग होंगे-
- फलाहारी व्रत रखें: निर्जला व्रत की जगह फल, दूध या जूस लिया जा सकता है.
- पूजा भगवान शिव-पार्वती की करें: विवाहित महिलाएं जहां पति के लिए पूजा करती हैं, वहीं कुंवारी लड़कियां भगवान शिव, माता पार्वती और करवा माता की आराधना करें.
- तारों को अर्घ्य दें: अविवाहित कन्याएं चांद की जगह तारों को देखकर जल अर्पित करती हैं.
- लाल या गुलाबी कपड़े पहनें: ये रंग प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक माने जाते हैं.
धार्मिक महत्व और आज की सोच (Benefits of Karwa Chauth for unmarried)
शास्त्रों में कहा गया है कि श्रद्धा और संयम से किया गया कोई भी व्रत फलदायी होता है, यानी अगर कोई कुंवारी कन्या भी भक्ति और सच्चे मन से करवा चौथ का व्रत करे, तो उसे भगवान शिव-पार्वती का आशीर्वाद मिलता है. आधुनिक दौर में यह व्रत सिर्फ विवाहिता का नहीं रहा. यह प्रेम, समर्पण और सकारात्मकता का प्रतीक बन चुका है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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