Happy Women's Day: भारत में बेटियों का बोलबाला चाहे कम हो लेकिन एक भारत की बेटी है जिसने परदेश में अपना परचम फैलाया है. वो कोई और नहीं बल्कि 'त्रिनिदाद और टोबैगो' की पहली महिला प्रधानमंत्री रह चुकीं 'कमला प्रसाद बिसेसर' (Kamla Persad-Bissessar) हैं. उन्हें 'बिहार की बेटी' के नाम से भी जाना जाता है. वह बिहार के बक्सर जिले के भेलपुर गांव से हैं. कमला के परदादा भारत से त्रिनिदाद एक प्रवासी की तरह गए थे. उनके परिवार में से किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि उनके घर की बेटी परदेश के लोकतंत्र की रक्षिका बनेंगी. कमला की कहानी में सिर्फ लड़कियों के लिए ही नहीं बल्कि देश के हर नागरिक के लिए सीख है.
त्रिनिदाद और टोबैगो में औरतों की सेफ्टी था लक्ष्य
आपको बता दें कि 'त्रिनिदाद और टोबैगो' कैरेबियन रीज़न का एक देश है. कमला प्रसाद ने महिलाओं की बेहतरीन के लिए बहुत कार्य किए. कमला की जगह कोई और प्रधानमंत्री होता तो शायद अपने देश में औरतों की मौजूदा स्थिति पर कुछ नहीं कहता, लेकिन कमला आज भी उन औरतों के लिए आवाज़ उठाती हैं और एक प्रैक्टिकल समाधान सबके समक्ष रखतीं हैं. इस देश में औरतों के लिए बढ़ते गुनाहों की लिस्ट को देखते हुए कमला और उनकी पार्टी आए दिन मार्च या मीटिंग्स करती रहतीं हैं.
कमला प्रसाद-बिसेसर की पार्टी एक ताकतवर विपक्ष हैं
उन्होंने 26 मई, 2010 को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं थीं. कमला प्रसाद-बिसेसर (Kamla Persad-Bissessar) 'यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस' की प्रमुख हैं. हालांकि, अब देश के प्रधानमंत्री 'कीथ रौली' हैं, लेकिन कमला को सत्ता में कौन हैं इससे फर्क नहीं पड़ता, वो अपने देश के लिए काम करना छोड़ती नहीं हैं. कोविड महामारी से जब पूरी दुनिया जूझ रही थी तब 'वैक्सीन मैत्री' के तहत कमला प्रसाद ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक पत्र के द्वारा अपने देश के लिए वैक्सीन की मांग की थी. पीएम मोदी ने इस मांग को पूरा भी किया था. जब देश में विपक्ष ताकतवर होता है तो सत्ता में मौजूद नेताओं को अपना काम और दिल लगाकर करना पड़ता है. इसी बात का ख्याल कमला और उनकी पार्टी रख रही है.
हम अब 'भविष्य' के पूर्वज हैं
जब देश अपना न हो और आपकी पहचान एक प्रवासी की हो तो जिंदगी एक जंग बन जाती है. कमला को पता था कि विद्या ही उनकी सबसे बड़ी ताकत कहलाएगी, उन्होंने अपनी पढ़ाई इंग्लैंड जाकर पूरी की. वहां उन्होंने अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ हो रहे नस्लीय भेदभाव और सामाजिक असमानता को होते हुए देखा. कैरिबियन के 'ब्लैक पावर मूवमेंट' ने उन्हें कानून में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया. उनके जीवन का एक ही मिशन है और वो है-‘सामाजिक न्याय' और सब में ‘समानता'. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि "हम अब 'भविष्य' के पूर्वज हैं, आज हम जो करते हैं वह निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों में परंपराओं और मूल्यों को प्रभावित करने वाला है."
कमला प्रसाद बिसेसर (Kamla Persad-Bissessar) के बारे में कहने को तो बहुत कुछ है, लेकिन भारतीय मूल की यह बेटी परदेश में फेमिनिज्म का परचम लहरा रही है.