Why plastic stools or chairs have holes: हम सबने घर, दफ्तर, स्कूल या किसी पार्टी में प्लास्टिक की कुर्सियां तो हज़ार बार देखी होंगी. हल्की, सस्ती और टिकाऊ होने की वजह से यह हर जगह मौजूद हैं, लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि इनकी पीठ या सीट पर एक गोल छेद बना होता है? ज्यादातर लोग इसे बस डिज़ाइन का हिस्सा मानते हैं, जबकि सच यह है कि इस छेद के पीछे कई वैज्ञानिक और प्रैक्टिकल कारण छिपे हैं.
कुर्सियां में छेद क्यों? (Plastic chair hole benefits)
बड़े आयोजन जैसे शादी या मीटिंग में सैकड़ों कुर्सियां लगती हैं. इन्हें एक-दूसरे के ऊपर रखा जाता है, लेकिन बिना छेद के इनमें हवा फंस जाती और कुर्सियां चिपक जातीं. यह छेद हवा को बाहर निकालने का रास्ता देता है, जिससे कुर्सियां आसानी से अलग हो जाती हैं.
प्लास्टिक कुर्सी छेद क्यों होता है? (chair design secrets)
प्लास्टिक कुर्सी मोल्ड में बनाई जाती है. अगर छेद न हो तो मोल्ड से निकालना मुश्किल हो जाता और कुर्सी टूट भी सकती है. यह छोटा-सा छेद मैन्युफैक्चरिंग को तेज और सुरक्षित बनाता है.
Weight aur Cost में बचत (plastic chair manufacturing)
छेद होने से कुर्सी बनाने में थोड़ा कम प्लास्टिक लगता है. एक कुर्सी पर फर्क भले छोटा हो, लेकिन लाखों कुर्सियों के प्रोडक्शन में यह कंपनियों के लिए बड़ी कॉस्ट सेविंग बन जाता है. साथ ही कुर्सी हल्की भी रहती है, जिससे उठाना-ले जाना आसान हो जाता है.
कुर्सी डिज़ाइन का राज (Comfort aur Ventilation)
लंबे समय तक बैठने पर पीठ में पसीना आना आम बात है. कुर्सी के छेद से हवा का फ्लो बना रहता है, जिससे बैठने में आराम मिलता है और उमस भरे मौसम में भी कुर्सी उतनी असहज नहीं लगती.
पानी का निकलना आसान (plastic chair facts in Hindi)
बारिश में या गलती से पानी गिरने पर कुर्सी पर पानी जमा नहीं होता. छेद से पानी बाहर निकल जाता है और कुर्सी जल्दी सूख जाती है. यानी यह डिज़ाइन कुर्सी को और भी लॉन्ग-लास्टिंग और यूज़फुल बना देता है.
(Disclaimer- यह खबर सामान्य जानकारी के आधार पर लिखी गई है.)
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