Teacher's Day Speech In Hindi : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिन्हें बच्चों से बहुत प्यार था. और जिनके कहने पर ही पहली बार शिक्षक दिवस (teachers day) मनाया गया था. उन्हीं के जन्मतिथि को याद करके हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. ये दिन शिक्षक और उनके शिष्यों का दिन होता है. बच्चों के लिए शिक्षक दिवस किसी त्योहार से कम नहीं होता. बच्चे इस दिन की तैयारी बहुत पहले से शुरू कर देते हैं और कई बड़े कार्यक्रमों का आयोजन भी करते हैं. डांस, म्यूजिक, ड्रामा, मिमिक्री, और न जाने कितनी चीज़ें की जाती है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जहाँ बच्चों को इंटरनेट खंगालने की ज़रूरत पड़ती है वो है टीचर्स डे स्पीच. (teachers day speech) बच्चे ऐसा भाषण देना चाहते हैं जिसमें वे सारी बातें कह दें और उसे सबके द्वारा खासतौर पे टीचर्स के द्वारा पसंद किया जाए. लेकिन वो दुविधा में होते हैं कि स्पीच को कैसे शुरू करें, कैसे उसका समापन करें. और इसके लिए न जाने वे कितने दिनों से तैयारियां कर रहे होते हैं. अगर आपको भी ऐसे ही स्पीच की ज़रूरत है तो इन टिप्स को याद रखें.
शिक्षक दिवस स्पीच शुरू करने का तरीका ( Easy ways to Start a Teacher's Day Speech)
कहा जाता है ना 'फर्स्ट इमेज इज़ द लास्ट इमेज'. यहाँ भी कुछ ऐसा ही होता है. आपका भाषण कैसा होगा, लोग उसे सुनेंगे या नहीं ये सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी शुरुआत कैसी है. इसलिए ये बहुत ज़रूरी है कि आपके शुरुआती लाइन्स बहुत प्रभावशाली होने चाहिए. जिसे सुनकर लोगों को आपकी आगे की बातों को सुनने का मन करे. ये लाइन्स दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने वाली होनी चाहिए. इसके लिए आप नीचे दिए गए इन बातों का ध्यान रखें.
आप भाषण की शुरुआत किसी विचार या श्लोक से कर सकते हैं.
इसके अलावा किसी मुहावरें, गज़ल से भी भाषण की शुरुआत की जा सकती है.
ध्यान रखें कि ये पंक्तियां जितनी अलग और हटके होंगी लोगों का रुझान उतना ही बढ़ेगा.
उदाहरण के तौर पर आप कुछ इस तरह शुरुआत कर सकते हैं - गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर: गुरुर साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः .
इन लाइन्स को आप गाकर बोल सकते है. साथ हीं इनका अर्थ भी समझाएं.
इसके बाद औपचारिक तौर पर वहाँ उपस्थिति सभी लोगों का अभिवादन करें.
जैसे- समयानुसार सुप्रभात, सुदोपहर, या गुड मॉर्निंग, गुड आफ्टरनून या गुड इवनिंग.
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण एवम मेरे प्यारे सहपाठियों. कुछ इस तरह से आप शुरुआत कर सकते हैं.
एक अच्छी शुरुआत करने के बाद ये भी ज़रूरी है कि भाषण का बॉडी भी अच्छा हो.
इस पार्ट में हमें आज के दिन के बारे में बताना है, जैसे हम आज शिक्षक दिवस क्यों मना रहे हैं, किनके यादों में मनाया जाता है, डॉ सर्वपली राधाकृष्णन कौन थे, उनके योगदान जैसी बातों को जोड़ा जाता है.
इसके बाद आप एक-एक करके अपने टीचर्स के बारे में बता सकते हैं. उनके स्पोर्ट, उनका मार्गदर्शन, आपके जीवन मे उनका महत्व, उनकी भूमिका इन बातों का उल्लेख किया जाता है.
शुरुआत के बाद अगर भाषण का अंत अच्छा ना हो तो सब बेकार हो जाता है. इसलिए समापन ऐसा होना चाहिए जो लोगों के ज़हन में याद रहे. जिसे लंबे समय तक सब याद रखें और वो लोगों को बहुत प्रभावित करे. कुछ इस तरह समापन किया जाए तो बेहतर होगा.
सबसे पहले सभी का धन्यवाद करें, जिन्होंने अपना कीमती वक्त आपको दिया.
समापन में फिर से किसी कोट, श्लोक या गज़ल का इस्तेमाल किया जा सकता है.
आप अपने विचार भी डाल सकते हैं.
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण एवम मेरे प्यारे सहपाठियों.
मैं बहुत खुश हूँ कि इस पावन अवसर पर मुझे कुछ कहने का अवसर मिला.
जैसा कि हम जानते हैं कि आज हम सभी यहाँ शिक्षक दिवस मनाने आए हैं.
तो सबसे पहले मैं अपने शिक्षकों को कोटि कोटि नमन करता/करती हूँ.
आज का दिन हमारे लिए बहुत खास है क्योंकि आज हम सभी यहाँ शिक्षक दिवस मनाने के लिए इकठ्ठा हुए हैं.
तो चलिए आज हम सभी ऐसे गुरुयों को नमन करते हैं और हमारे जीवन मे उनके महत्व को समझने की कोशिश करते हैं.
गुरु वो दिपक होते हैं जो अंधरे में भी हमें उजाला देते हैं. वो वृक्ष होते हैं जो खुद धूप सह के हमें छाव देते हैं. और वो पेड़ होते हैं जो हमेशा हमें मीठा फल देते हैं.
हमारे अंदर से अज्ञान के अंधरे को दूर कर ज्ञान का प्रकाश भर देते हैं.
बहुत बहुत धन्यवाद सर हमें सच्चाई, अच्छाई ,और न्याय के पथ पर निरंतर आगे बढ़ाने के लिए.
एक बार फिर से तहे दिल से धन्यवाद सर/मैम.
धन्यवाद
छात्रों के लिए शिक्षक दिवस पर भाषण (Teacher's Day Speech for Student's)
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर: गुरुर साक्षात परम ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः अर्थात गुरु ही ब्रह्म है गुरु ही विष्णु है गुरुदेव ही शिव है और गुरुदेव ही साक्षात साकार स्वरूप आदि ब्रह्म है मैं उन्हीं गुरुदेव को नमस्कार करता/करती हूं. सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण एवम मेरे प्यारे सहपाठियों. आज मैं बहुत खुश हूँ कि इस पावन अवसर पर मुझे कुछ कहने का अवसर मिला. जैसा कि हम जानते हैं कि आज हम सभी यहाँ शिक्षक दिवस मनाने आए हैं. तो सबसे पहले मैं अपने शिक्षकों को कोटि कोटि नमन करता/करती हूँ. आज का दिन हमारे लिए बहुत खास है क्योंकि आज हम सभी यहाँ शिक्षक दिवस मनाने के लिए इकठ्ठा हुए हैं. कहा जाता है गुरु से बड़ा दूसरा कोई नहीं होता, आज मैं ये मानता/मानती भी हूँ. तो चलिए आज हम सभी ऐसे गुरुयों को नमन करते हैं और हमारे जीवन मे उनके महत्व को समझने की कोशिश करते हैं. गुरु वो दिपक होते हैं जो अंधरे में भी हमें उजाला देते हैं. वो वृक्ष होते हैं जो खुद धूप सह के हमें छाव देते हैं. और वो पेड़ होते हैं जो हमेशा हमें मीठा फल देते हैं.हमारे अंदर से अज्ञान के अंधरे को दूर कर ज्ञान का प्रकाश भर देते हैं. हमसे ज्यादा हममें विश्वास रखते हैं. शिक्षक हमें केवल पढ़ाते नहीं बल्कि हमें आकार देते हैं, एक ज़िम्मेदार नागरिक बनाते हैं. हममें गलतियां निकालते है इसलिए नहीं ताकि हम हताश हो बल्कि इसलिए ताकि हममें निरंतर सुधार हो. हमें बाहरी दुनिया के लिए तैयार करते हैं. उन सभी मुश्किलों के लिए जो जीवन के हर नए पड़ाव पे हमें मिलेंगे. आपने हमें, हमें बनाया है. बहुत बहुत धन्यवाद सर/मैम हमें सच्चाई, अच्छाई ,और न्याय के पथ पर निरंतर आगे बढ़ाने के लिए.
धन्यवाद! (प्रस्तुति - रौशनी सिंह)