Halloween Day 2021 : हैलोवीन नाइट पश्चिमी देशों में धूमधाम से मनाया जाने वाला त्यौहार है. इस त्यौहार के लिए सभी अपने-अपने अंदाज़ में मनाते हैं. बच्चों के लिए ये पड़ौसी और रिश्तेदारों से चॉकलेट्स लेने का दिन है, तो वहीं बड़े इस दिन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं.
वैसे तो आपको हैलोवीन नाम सुनकर अटपटा लग रहा होगा. आमतौर पर लोग त्यौहार पर खूबसूरत कपड़ों में तैयार होते हैं, लेकिन ये त्यौहार कुछ डिफरेंट है. इस दिन लोग को डराने का त्योहार मानते हैं. आत्माओं और भूतों की तरह पूरा मेकअप किया जाता है. कपड़े भी हैलोवीन थीम के अनुसार चुने जाते हैं. हैलोवीन नाइट 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी.
कैसे हुआ शुरू हैलोवीन
यूरोप में सैल्टिक जाति के लोग मानते थे कि इस दिन मरे हुए लोगों की आत्माएं आकर लोगों से मिलती हैं. उनका मानना है कि उनके पुरखों की आत्मा धरती पर आएगी, जिससे उनका फसल काटना आसान हो जाएगा. इसीलिए वे हैलोवीन बनते हैं और जानवरों के मौखटे, उनकी चमड़ी, उनके सिर पहनकर आग के आसपास नाचते -गाते थे. वे मानते थे कि कोई विशिष्ट सर्वोच्च प्राकृतिक शक्ति है. इसे ‘All Saints-Day'-All Hallows (holy) या Hallows Eve के नाम से मनाते थे, जो धीरे- धीरे Halloween बन गया.
वैसे अमेरिका में तो इसे कद्दू की खेती की कटाई के साथ भी जोड़ा जाता है. इस समय कद्दू बहत ज्यादा और बहुत बड़े- बड़े मिलते हैं, जिन्हें आसानी से काटा भी जा सकता है. घर के सामने की तरफ इस पर डरावने तरीके से मुंह काटकर, बीच में जलती हुई मोमबत्ती रख देते हैं. जिन्हें पुराने समय की याद में रात को अँधेरे में घर की चौखट पर रखा जाता है. इसे Jack-O-lanterns भी कहते हैं.
लालटेन जलाने के पीछे की कहानी
हैलोवीन डे पर लालटेन जलाना एक लोकप्रिय परंपरा मानी गई है. इसके पीछे कंजूस जैक और शैतान की आयरिश लोककथा मानी जाती है. आयरलैंड में जन्मे कंजूस शराबी जैक ने अपने एक शैतान दोस्त को घर में शराब पीने के लिए बुलाया, लेकिन वो नहीं चाहता था कि अपना पैसा खर्च करे. उसने अपने ही दोस्त को शराब के बदले घर में लगा कद्दू यानी पंपकिन देने के लिए राजी किया. बाद में वह अपनी बात से मुकर जाता है. उसके दोस्त ने गुस्से में पंपकिन की डरावनी लालटेन बनाकर घर के बाहर पेड़ पर टांग दी, जिस पर उसके मुंह की नक्काशी की और जलते कोयले डाल दिए. तब से दूसरे लोगों के लिए सबक के तौर पर इस दिन जैक-ओ-लालटेन के तौर पर दिन मनाया जाने लगा. यह उनके पूर्वजों की आत्माओं को रास्ता दिखाने और बुरी आत्माओं से रक्षा करने का भी प्रतीक है.