ऑनलाइन क्‍लासेस से स्ट्रेस तो नहीं बढ़ रहा आपके बच्‍चे पर, जानें इस तरह

ऑन लाइन पढ़ने पर ऐसा लगता जरूर है कि पढ़ाई का बोझ हल्का हुआ है, पर फिजिकल एक्टिविटी, दोस्तों का साथ और रूटीन गड़बड़ाने से मेंटल स्ट्रेस बढ़ रहा है. अगर आपके बच्चे में भी नजर आ रहे हैं कुछ ऐसे बदलाव तो समझ लीजिए आपके सतर्क होने का वक्त हो गया है.

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स्‍टूडेंट में फिजिकल एक्टिविटी, दोस्तों का साथ और रूटीन गड़बड़ाने से मेंटल स्ट्रेस बढ़ रहा है.
नई दिल्‍ली:

कोरोना काल ने बच्चों के पढ़ने के तरीके को बिलकुल बदल दिया है. इस वक्त से पहले तक जो पैरेंट्स अपने बच्चों को स्क्रीन से दूर रखते थे. उन्हें भी मजबूरी में ही सही पर बच्चों को मोबाइल या लैपटॉप देना पड़ रहा है ताकि वो अपनी क्लासेस अटेंड कर सकें. स्कूल में हाजिरी लगाने और क्लास अटेंड करने का यही एकमात्र तरीका बचा है, फिलहाल. इसके बाद अगर ट्यूशन या कोचिंग हो तो और भी ज्यादा मुसीबत. पैरेंट्स न चाहते हुए भी बच्चों की बढ़ती स्क्रीन टाइमिंग के आगे बेबस हो रहे हैं. इसका खामियाजा बच्चों को भी भुगतना ही पड़ रहा है. ऑन लाइन पढ़ने पर ऐसा लगता जरूर है कि पढ़ाई का बोझ हल्का हुआ है. पर फिजिकल एक्टिविटी, दोस्तों का साथ और रूटीन गड़बड़ाने से बच्चों में मेंटल स्ट्रेस बढ़ रहा है. अगर आपके बच्चे में भी नजर आ रहे हैं कुछ ऐसे बदलाव तो समझ लीजिए आपके सतर्क होने का वक्त हो गया है.

नींद न आना

ये परेशानी बहुत से बच्चों में बढ़ रही है. या तो उन्हें रात में आसानी से नींद नहीं आती. और अगर आती भी है तो बीच बीच में खुल जाती है. यानि बच्चा चैन की नींद नहीं सो पा रहा. अगर ऐसा है तो समझिए बच्चे में स्ट्रेस बढ़ रहा है.

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पेट में दर्द

ये सुनकर यकीन नहीं होता. अगर बच्चा पेट दर्द की शिकायत कर रहा हो तो कोई पैरेंट ये नहीं मान सकेगा कि बच्चों में स्ट्रेस बढ़ रहा है. पर लगातार पेट दर्द की शिकायत करने वाले कई बच्चों में किसी बीमारी के लक्षण नहीं मिले. फिर ये माना गया कि इसके पीछे तनाव बड़ा कारण है. इसलिए अगर आपका बच्चा भी गाहे बगाहे पेटदर्द की शिकायत करें तो उसे हल्के में न लें.

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चिड़चिड़ापन

अगर आपका हंसमुख रहने वाला बच्चा. बात बात पर नाराज हो या अनमना हो जाए. तो समझिए कि ये नाराजगी सामान्य नहीं है. बच्चे का गुस्सा किसी गंभीर समस्या का इशारा भी हो सकता है.

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गुमसुम रहना

बच्चे के बदलती मानसिक स्थिति की तरफ ये भी एक इशारा है. बच्चा  बार बार समझाने के बावजूद मोबाइल या लैपटॉप पर ज्यादा वक्त बिताता है. और अगर ये उसे न मिले तो उदास या गुमसुम रहता है तो इन हालातों को भी सामान्य मत मानिए. और बच्चे के स्वास्थ्य को गंभीरता से लीजिए.

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बार बार बाथरूम जाना

बच्चा अगर बार बार बाथरूम जा रहा है तो ये भी गंभीर बात है. इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा समय पर सही डाइट ले रहा है या नहीं. अगर खानपान बराबर है फिर भी शौच की आदतों में बदलाव दिख रहा है या बच्चा बार बार बाथरूम जा रहा है. तब इसे मानसिक परेशानी ही मान कर चलें. डॉक्टर्स के मुताबिक खाना पीना ठीक रहने के बावजूद बार बार शौच जाना मानसिक परेशानी या स्ट्रेस का कारण है.

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एक्सपर्ट के मुताबिक ऐसे कोई भी लक्षण दिखने पर पैरेंट्स तुरंत एक्टिव हो जाएं. बच्चों को ऑनलाइन क्लासे लेने के लिए मजबूर न करें. उनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं बातें करें और जरूरत पड़ने पर बिना देर किए डॉक्टर से मिलना न भूलें.

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