Bhagat Singh Jayanti 2021 : भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिदूत अमर शहीद भगत सिंह की आज 114वीं जयंती है. देश के इंकलाबी क्रांतिकारी भगत सिंह का आज जन्मदिन है. सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी ओर से भगत सिंह को सलाम कर रहा है. देश के कई दिग्गजों ने भी आज (मंगलवार) ‘कू' (Koo App) कर भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी.
वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने भी सरदार भगत सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए 'कू' (Koo App) पर लिखा...'मां भारती को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने हेतु स्वयं की आहुति देने वाले अमर बलिदानी, युवा शक्ति के द्योतक, राष्ट्र नायक भगत सिंह जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन. स्वतंत्र भारत आपके बलिदान का सदैव ऋणी रहेगा.'
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने भी 'कू' (Koo App) कर सरदार भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी. सीएम शिवराज सिंह ने 'कू' में लिखा...'अपने प्रखर विचारों और देश प्रेम की भावना से प्रत्येक देशवासी के हृदय में नई अग्नि प्रज्जवलित कर देने वाले वीर सपूत भगत सिंह की जयंती पर कोटिश: नमन. आप अपने ओजस्वी विचारों एवं कार्यों से हमारे दिलों में युगों-युगों तक जिंदा रहेंगे.'
भगत सिंह की 114वीं जयंती आज
भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक भगत सिंह की आज 114वीं जयंती मनाई जा रही है. देश की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले महान क्रांतिकारी महज 23 वर्ष की उम्र में ही शहीद हो गए. उनकी जयंती पर राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत सियासी दलों के नेता उन्हें नमन कर रहे हैं. भारत को आजादी दिलाने में भगत सिंह ने अहम योगदान निभाया और अंग्रजों से जमकर टक्कर ली. उनके इस जुनून को देखकर ब्रिटिश सम्राज्य भी हिल गया था. वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के उल्लेखनीय नायकों में से एक थे.
आजादी की लड़ाई
सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को हुआ था. पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब के बांगा गांव में भगत सिंह ने जन्म लिया. उनका परिवार पहले से ही आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के खिलाफ अपनी ओर से जुटा हुआ था, बाद में भगत सिंह भी इसी राह पर चल पड़े.
जलियावाला बाग में नरसंहार ने बदला भगत सिंह का मन
भगत सिंह को देश भक्ति विरासत में मिली थी, क्योंकि उनके दादा अर्जुन सिंह, उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह गदर पार्टी के अभिन्न हिस्से थे. जब 13 अप्रैल 1919 को जलियावाला बाग में नरसंहार हुआ, तो इसे देखकर भगत सिंह काफी व्यथित हुए थे और इसी के कारण अपना कॉलेज छोड़ वो आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे.