'छोटे शहर से हूं, स्टेट बोर्ड से पढ़ाई की है' : जानें- सिविल सर्विसेज में 81वीं रैंक हासिल करने वाले ईशु अग्रवाल की खास स्ट्रेटेजी

छोटे शहर से हूं, मैं हिंदी मीडियम से हूं, मैंने स्टेट बोर्ड से पढ़ाई की है, हम औरो से कम काबिल हैं, जैसे सोच रखने वालों छात्रों के लिए छत्तीसगढ़ के धमतरी के ईशु अग्रवाल नजीर है. ईशु ने सेकेंड अटेम्पेड में ही यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा-2021 पास की है. ईशु ने 81वां रैंक (81st rank) हासिल कर साबित कर दिया है कि लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.

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UPSC Result 2021: UPSC को क्रैक करने की 81st ranker ईशु अग्रवाल की खास स्ट्रेटजी
नई दिल्ली:

छोटे शहर से हूं, मैं हिंदी मीडियम से हूं, मैंने स्टेट बोर्ड से पढ़ाई की है, हम औरो से कम काबिल हैं, जैसे सोच रखने वालों छात्रों के लिए छत्तीसगढ़ के धमतरी के ईशु अग्रवाल नजीर है. ईशु ने सेकेंड अटेम्पेड में ही यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा-2021 (UPSC Civil Services Exam-2021) पास की है. ईशु ने 81वां रैंक (81st rank) हासिल कर साबित कर दिया है कि लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है. फिर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने स्टेट बोर्ड से पढ़ाई की है या फिर छोटे शहर से हैं. ईशु अग्रवाल ने देश की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षा को क्रैक करने के लिए कौन सी स्ट्रेटजी अपनाई, इसपर उन्होंने NDTV इंडिया से खास बातचीत की.

यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा-2021 में ईशु अग्रवाल ने 81वां रैंक (81st rank) हासिल किया है.

इस परीक्षा को क्वालिफाइ करने की स्ट्रेटेजी पर ईशु ने कहा कि अगर मैं पिछली बार से अपनी तैयारियों की बात करूं तो इस बार मेरा फोकस दो चीजों पर ज्यादा था. पहला पिछले साल के क्यूश्चन थे, जिसे मैं कई बार दोहराया था. साथ ही उन प्रश्नों का एक समरी टाइप से बना लिया था. जिससे मुझे यह समझ आता था कि हर साल यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के सिलेबस से कौन से टॉपिक्स आ रहे हैं, उनका मैंने सब टॉपिक भी बनाया था, जैसे एग्जाम में उससे कितने सवाल पूछे गएं और उनका वेटेज क्या है. जैसे जनरल साइंस के चार पेपर होते हैं लेकिन वो मेरे लिए 12 या 13 टॉपिक्स के रूप में थे. मैं पिछले साल के प्रश्नों का एनालिसिस करके यह तैयार किया था. मैंने 2013 से अभी तक के यूपीएसी सिविल सेवा परीक्षा के प्रश्नों को पढ़ा था. उसके अलावा मैं दिनभर के अपने समय को खुद ट्रैक करता था. इसके लिए मैंने एक शीट प्रिंट कर रखी थी, उसपर हर घंटे मैंने क्या किया है, उसपर नोट करता था. उसमें मैं मार्क करता था कि मैंने कितने घंटे पढ़ाई और कितना समय बर्बाद किया. ऐसा करने से मुझे 10-15 दिन में समझ में आ गया कि मेरी पढ़ाई का फ्लो क्या है, कितने बजे मैं बेहतर ढंग से पढ़ाई करता हूं और कितने बजे मैं पढ़ाई कम होती है. ऐसा करने से पढ़ाई की एफिशिएंसी में बढ़ोतरी हुई थी. 

नींद से नहीं किया काम्प्रमाइज़ 

देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यानी यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्र अपने पढ़ाई और समय के साथ कोई चांस नहीं लेते, उनके पढ़ने, जगने का कोई समय नहीं होता, इस सवाल के जवाब पर ईशु ने कहा कि यह तैयारी करने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है, जहां तक मेरी बात है तो मैं अगर 50 मिनट पढ़ रहा हूं तो 10 से 20 मिनट ब्रेक भी लेता था. मैं लगातार नहीं पढ़ता था, अधिक से अधिक 1 से 2 घंटे लगातार पढ़ता था. परीक्षा के समय ही मैं सात घंटे से कम सोया हूं, लेकिन पूरी जर्नी मैं सात घंटे से कम कभी भी नहीं सोया हूं. नींद से मैंने कभी भी काम्प्रमाइज़ नहीं किया है. मुझे लगता है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने घंटे पढ़ रहे हैं बल्कि फर्क इस बात से पड़ता है कि आप कितनी एफिशिएंसी से पढ़ रहे हैं. 

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सीए बनने के बाद जॉब के मिले कई ऑफर

सीए करने के बाद जॉब के सवाल पर ईशु ने कहा कि सीए करने के बाद उन्हें जॉब के कई ऑफर आए थे, उन्हें 6 फिगर के ऑफर भी मिले थे लेकिन उन्होंने जॉब नहीं की. उन्होंने बताया कि मैंने सीए की प्रैक्टिस है, जो मेरे जान पहचान के लोग हैं उनके लिए मैं काम करता था, उसमें मेरा टाइम इतना नहीं जाता था कि मेरी यूपीएसकी की तैयारी हैंपर हो. मेरा माता-पिता का इमोशनली, फाइनेंशियली काफी सपोर्ट था इसलिए मुझे जॉब करने की जरूरत नहीं पड़ी.  

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पढ़ाई तो खुद ही करनी होती है

कोचिंग या किसी तरह की मदद ली इस तैयारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि शुरुआत में मैंने कुछ समय के लिए वर्चअुल क्लासेस ली थी एक कोचिंग से. इसके बाद मेरी तैयारी सेल्फ प्रिपरेशन मोड में ही रही. क्योंकि कोचिंग का एक लिमिटेड बेनिफिट रहता है आखिर पढ़ना तो आपको ही पड़ता है, इसलिए मैंने खुद ही परीक्षा की तैयारी की.   

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तैयारी करने वालों को ईशु का मैसेज 

उन्होंने बताया कि जब मैं स्कूल में था तो सोचता था कि मुझे आईएएस करना है तो यह सोच मुझे परेशान करती थी कि हम छोटे शहर वाले हैं, स्टेट बोर्ड से पढ़ाई की, ये हमसे होगा क्या. आज जब यूपीएससी की परीक्षा मैं क्लीयर कर चुका हूं तो मुझे लगता है कि ये मैटर नहीं करता कि आप किसी बड़े स्कूल से पढ़े है या नहीं, टियर-1 या टियर-2 सिटी से हैं, मैंने अपनी यूपीएससी की तैयारी धमतरी में रहकर की है. मैं दिल्ली भी नहीं गया था इसकी तैयारी के लिए. ऐसी बातें सिर्फ हमारे दीमाग की उपज है जो वास्तव में एक्जिस्ट नहीं करती. अगर आप लगन के साथ पढ़ाई कर रहे हैं तो आप इस परीक्षा को जरूर-जरूर पास कर लेंगे. 

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