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नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के मेहसाणा जिला स्थित वडनगर में हुआ. उनकी मां हीराबेन मोदी और पिता दामोदरदास थे. नरेंद्र मोदी ने 2014 के आम चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी. मोदी ने आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 वोटों से हराया था. इस चुनाव में नरेंद्र मोदी को 5,81,022 वोट मिले. वहीं, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अपनी ज़मानत नहीं बचा सके थे.
नरेंद्र मोदी का राजनीतिक सफर : 2014 के आम चुनाव (Lok Sabha Elections 2014) में 'चायवाला' बनकर सामने आए नरेंद्र मोदी ने इन चुनावों के बाद देश की बागडोर संभाली थी. गौर फरमाने वाली बात यह है कि जब नरेंद्र मोदी ने पहली बार कोई मंत्री पद संभाला यानी वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने तब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा था. पहली बार 7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने. फिर लगातार 2002, 2007 व 2012 के विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर वे इस पद पर काबिज रहे. 2014 का आम चुनाव में नरेंद्र मोदी ने वडोदरा और वाराणसी से लड़ा था. वाराणसी में जीत दर्ज कराने के बाद वडोदरा सीट से इस्तीफा दे दिया.
जब नरेंद्र मोदी का मुख्यमंत्री पद आ गया था खतरे में : नरेंद्र मोदी का राजनीतिक सफर काफी उतार चढ़ाव वाला रहा. पहली बार मुख्यमंत्री बनने के पांच महीने बाद ही गोधरा में दंगे भड़के. कहा जाता है कि उस वक्त उन्हें सीएम पद से हटाने की बात चलने लगी थी. लेकिन लालकृष्ण आडवाणी के समर्थन की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाया. दंगे के कुछ ही महीने बाद गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए तो मोदी बहुमत से सत्ता में लौट आए. इसमें सबसे गौर करने वाली बात यह साबित हुई कि दंगों से अधिक प्रभावित इलाकों में ही बीजेपी को ज्यादा लाभ मिला. इसके बाद नरेंद्र मोदी ने गुजरात की सत्ता पर इस तरह पकड़ बनाई कि लगातार चार बार प्रधानमंत्री बने.
मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री तक का सफर : बीजेपी ने नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2014) के लिए प्रधानमंत्री उम्मीदवार चुना. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अगुवाई में बीजेपी 282 सीटों के साथ बहुमत से सत्ता में पहुंची. फिर 26 मई 2014 को कई पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.
2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट के उम्मीदवारों का लेखा-जोखा : लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के सातवें चरण में 19 मई को होने वाले चुनाव के लिए वाराणसी संसदीय सीट (Varanasi Lok Sabha Constituency) पर 22 अप्रैल से 29 अप्रैल तक चली. वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को चुनौती देने के लिये कुल 102 लोगों ने नामांकन किया था. जिसमें नामांकन के आखिरी दिन 71 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल कर रिकार्ड बनाया था. इसकी वजह से आखिरी दिन रात 11. 30 तक पर्चा दाखिल होता रहा. लेकिन बाद में जब पर्चे की स्कूटनी हुई तो उसमे बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर सहित 71 लोगो का पर्चा खारिज कर दिया गया. जबकि 5 लोगों ने अपना पर्चा वापस ले लिया. इस प्रकार पीएम मोदी (PM Modi) को लेकर कुल 26 प्रत्याशी अब मैदान में है. 27 वां प्रत्याशी नोटा के रूप में होगा. इन प्रत्याशियों में पीएम मोदी को कांग्रेस के अजय राय और गठबंधन से सपा की उम्मीदवार शालिनी यादव से सीधे तौर पर दो-दो हाथ करना होगा, बाकी के 23 प्रत्याशी अपने ही अस्तित्व के लिए लड़ते नज़र आएंगे.
वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास : वाराणसी लोकसभा सीट (Varanasi Lok Sabha Constituency) हमेशा से बीजेपी के लिए 1991 के बाद और 2004 को छोड़ कर यह एक परंपरागत सीट रही. फिर भी यहां पर 2009 का चुनाव बीजेपी के लिए चुनौतियों भरा रहा था. जब बीजेपी का बड़ा नाम यानी मुरली मनोहर जोशी यहां से महज 17 हजार वोटों से चुनाव जीत पाए थे. यहां जातीय समीकरण देख लेने भी जरूरी हैं. यहां गंगा के किनारे इन 84 घाटों पर हज़ारों की संख्या में निषाद बिरादरी के लोग रहते हैं. निषादों की तरह यादव बिरादरी का भी 1 लाख 50 हज़ार वोट है, जो पिछले कई चुनाव से बीजेपी को ही वोट कर रहा था, लेकिन इस बार वो अखिलेश यादव के साथ खड़ा नज़र आ रहा है. दलित 80 हज़ार और मुस्लिम लगभग तीन लाख के आसपास हैं. 2014 के चुनाव में सपा-बसपा अलग-अलग लड़ी थी और मुस्लिम केजरीवाल की तरफ चला गया था जिससे वो 2 लाख 9 हज़ार वोट पाए थे. अब अगर ये वोट एक साथ आते हैं तो एक ऐसी चुनौती बन सकती है जिसे आप नज़रंदाज़ नहीं कर सकते. - |
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