Success Story: रूदन देवी की कहानी ने जीता राष्ट्रपति का दिल, हजारीबाग से दिल्ली तक का अद्भुत सफर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हजारीबाग की 5000 वर्ष पुरानी सोहराय और कोहबर कलाकारों से मुलाकात की.

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नई दिल्ली:

Success Story Story of Rudan Devi: हजारीबाग की 5000 वर्ष पुरानी सोहराय और कोहबर कला ने राष्ट्रपति भवन में अपनी छाप छोड़ी है. जिले की 10 महिला कलाकारों ने 10 दिनों तक राष्ट्रपति भवन में रहकर इस प्राचीन लोक कला को जीवंत किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन कलाकारों से मुलाकात कर उनकी कला की सराहना की और कहा कि यह महिलाएं भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए हैं. 14 से 24 जुलाई तक चले ‘आवासीय कलाकार कार्यक्रम' में हजारीबाग की रुदन देवी, अनीता देवी, सीता कुमारी, मालो देवी, सजवा देवी, पार्वती देवी, आशा देवी, कदमी देवी, मोहिनी देवी और रीना देवी ने हिस्सा लिया.

सोहराई पेंटिंग को मिला 2020 में इसे GI टैग 

इन्होंने कपड़े पर मिट्टी के रंग और बांस के ब्रश से पेड़, पक्षी और आदिवासी जीवन को उकेरा. राष्ट्रपति ने इनकी कला को "भारत की आत्मा की झलक" बताया और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.  रुदन देवी ने बताया कि वे पहली बार हवाई जहाज से दिल्ली गईं और राष्ट्रपति भवन का स्वागत उनके लिए अविस्मरणीय था. उनके बेटे ने बताया कि दाहिना हाथ कट जाने के बावजूद उन्होंने बाएं हाथ से कला सीखी और यह मुकाम हासिल किया. 

सोहराय और कोहबर कला हजारीबाग की गुफाओं और दीवारों पर आज भी देखी जा सकती है. 2020 में इसे GI टैग मिला था. जिला अधिकारियों ने इसे झारखंड के लिए गौरव की बात बताई. इस कार्यक्रम ने स्थानीय कला को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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