Success Story: घर का काम फिर बच्चों का संभालना, पति के सपोर्ट से एक बार में पास की UGC NET की परीक्षा

UGC NET Exam 2025: बिहार के मधेपुरा ज़िले के एक सुदूर गांव रामनगर महेश की एक हाउसवाइफ ने पहले ही प्रयास में यूजीसी नेट जून 2025 की परीक्षा पास कर ली.

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नई दिल्ली:

Success Story: बिहार को मेहनत करने वालों की फैक्ट्री कहा जाता है, यहां के लोग बहुत ही मेहनती और प्रतिभा से भरे होते है. बिहार में टैलेंट की कोई कमी नहीं है. ऐसी ही कहानी है बिहार के छोटे से गांव की प्रतिभाशाली महिला की जिन्होंने घर संभालते हुए अपना सपना पूरा किया. बिहार के मधेपुरा ज़िले के एक सुदूर गांव रामनगर महेश की एक हाउसवाइफ ने पहले ही प्रयास में यूजीसी नेट जून 2025 की परीक्षा पास कर ली. अपने घर और बच्चों को संभालते हुए, तमाम बाधाओं से लड़ते हुए उन्होंने ये उपलब्धि हासिल की. एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी जर्नी के बारे में बताया जो किसी भी महिला के लिए प्रेरणा बन सकती है. 

6 से 7 घंटे पढ़ाई कर पास की परीक्षा

यूजीसी नेट की परीक्षा में नीतू कुमारी (24) ने हिंदी विषय में 76.91 प्रतिशत नंबर हासिल किए हैं. उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर, जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और पीएचडी पात्रता के लिए आवेदन किया था. नीतू बताती है कि मैंने अपनी पढ़ाई का समय हर दिन तीन हिस्सों में बांटा था.  मैं सुबह 7 बजे तक घर के काम निपटा लेती और फिर 9 बजे तक पढ़ाई करती. दोपहर के खाने और थोड़े आराम के बाद, मैं दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक फिर से पढ़ाई करती. रात में, घर का सारा काम निपटाकर और बच्चे को सुलाकर, मैं रात 8 बजे से 10 बजे तक फिर से पढ़ाई करती.  मैं रोज़ाना 6 से 7 घंटे पढ़ाई कर पाती थी.

बिना कोचिंग के पास की परीक्षा

मैंने किसी भी मानक किताब पर भरोसा नहीं किया, मैंने पूरी तरह से अपने शिक्षक द्वारा दिए गए नोट्स पर फोकस किया. उनके लेक्चर और शॉर्ट नोट्स तैयार कर पढ़ाई करती थी. इसके अलावा मैने रिवीजन काफी किया था. किसी भी परीक्षा को निकालने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ रिवीजन काफी जरूरी होता है. नीतू बताती हैं कि ससुराल में रहते हुए यूजीसी नेट की तैयारी करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल तो था, लेकिन ये मेरी लाइफ का हिस्सा बन गया था, और मेरी सफलता का कारण भी यही बना. 

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पति और नाना जी ने किया पूरा सपोर्ट

मुझे सबसे ज़्यादा प्रेरणा मेरे पति सुमित ठाकुर और मेरे नाना जी से मिली, जिन्होंने मुझे हमेशा प्रेरित किया और मेरी क्षमता पर विश्वास रखा. उनके प्रोत्साहन ने मुझे हाय गोलरखने और कभी हार न मानने के लिए प्रेरित किया.
यह निश्चित रूप से कठिन था. लेकिन इसका फ़ायदा यह था कि नेट का दूसरा पेपर हमारे स्नातकोत्तर विषय से मेल खाता था, इसलिए मैं दोनों की एक साथ तैयारी कर सका. मैंने दिसंबर में अपने प्रथम वर्ष की पीजी परीक्षा दी और फिर फरवरी से नेट की पूरी तैयारी शुरू कर दी. पहला पेपर सामान्य प्रकृति का था, इसलिए मैंने इसके लिए अतिरिक्त समय दिया.

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