कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 6 अक्टूबर, 2022 को जारी राज्य सरकार की अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसके द्वारा पीजी-एनईईटी परीक्षा 2022 में सेवारत उम्मीदवारों के लिए निर्धारित सीटों को 30 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया था. सरकारी कोटा उन डॉक्टरों के लिए है जो पहले से ही कर्नाटक भर में सरकारी सेवा में सेवारत हैं. उच्च न्यायालय ने यह आदेश सेवारत उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच में दिया. उन्होंने बताया था कि अदालत की एक अन्य बेंच ने 14 अक्टूबर को एक संबंधित आदेश में एक अंतरिम आदेश पारित किया था कि "जब 09-01-2022 को 30 प्रतिशत सीटें इन-सर्विस उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं, तो इसे घटाकर 15 प्रतिशत करने का कोई औचित्य (justification) नहीं प्रतीत होता है."
अंतरिम आदेश के बावजूद कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण ने अधिसूचना की घोषणा की और आवंटन के पहले दौर को प्रकाशित किया.
आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एस विश्वजीत शेट्टी की न्यायमूर्ति की बेंच ने 21 अक्टूबर को अपने फैसले में कहा, "प्रतिवादियों की ओर से केवल यही स्पष्टीकरण दिया गया है कि सीटों की संख्या उम्मीदवारों की संख्या से अधिक है. हालांकि, उक्त कारण 29-09-2022 की बैठक के कार्यवृत्त से सामने नहीं आ रहा है."
चिकित्सा शिक्षा निदेशक द्वारा जारी सीट मैट्रिक्स दिनांक 09-10-2022 को भी रद्द कर दिया गया. हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा, "राज्य सरकार प्रासंगिक मानदंडों को ध्यान में रखते हुए और सीटों को भरने के लिए इन-सर्विस उम्मीदवारों के लिए कोटा नए सिरे से निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होगी."
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी उल्लेख किया कि कोटा के लिए प्रासंगिक मानदंड क्या हैं. इन-सर्विस उम्मीदवार के पास पसंद का बेहतर अनुपात होना चाहिए. पिछले वर्ष के लिए, अनुपात इन-सर्विस उम्मीदवारों के लिए विकल्प बेहतर था और सीटों के संबंध में पसंद का अनुपात 1:5 था, यानी 1 उम्मीदवार के पास 5 उपलब्ध सीटों में से 1 को चुनने का विकल्प था, जिसे इस वर्ष घटाकर लगभग 1:1 कर दिया गया है अर्थात , एक उम्मीदवार को 1 सीट का चयन करना होता है जो उपलब्ध है. सेवारत उम्मीदवारों के लिए कोटा बिना कोई ठोस कारण बताए कम कर दिया गया है और यह निर्णय आकस्मिक और लापरवाह तरीके से लिया गया प्रतीत होता है."
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