National Pollution Control Day 2025: रात में सोते हुए हजारों लोगों की मौत एक साथ आना किसी त्रासती से कम नहीं है. ऐसा आमतौर पर प्राकृतिक आपदाओं में होता है, लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक गलती के चलते हजारों लोग मौत की नींद सो गए. दो दिसंबर 1984 की उस काली रात ने मानो सब कुछ निगल लिया था. ये वही रात थी जब यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से बेहद खतरनाक मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ. आज कई सालों बाद भी भोपाल के इस इलाके में इस हादसे के घाव नजर आते हैं और इसे याद करते हुए लोगों की रूह कांप उठती है.
रात में दबे पांव आई मौत
दो दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड के प्लांट नंबर 'सी' में अचानक रिसाव शुरू हो गया. इसके बाद हवा के हर झोंके के साथ कई लोगों की मौत होने लगी. मिथाइल आइसोसाइनेट जैसे ही सांस के जरिए लोगों के अंदर गई, वैसे ही उनका दम घुटने लगा और पत्तों की तरह लोग गिरने लगे. कुछ ही घंटों में करीब तीन हजार लोगों की मौत हो गई.
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कैसे फैली खतरनाक गैस?
यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से करीब 40 टन गैस का रिसाव हुआ था. बड़े टैंक में मौजूद जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का पानी से संपर्क हो गया और तेज रिएक्शन हुआ. इसकी वजह से टैंक में दबाव बन गया और इसके फटने से गैस बाहर निकलने लगी. फैक्ट्री के आसपास मौजूद लोगों की सबसे पहले मौत हुई और जहां तक इस जहरीली हवा के झोंके पहुंचे, वहां उसने मौत का तांडव मचाया. ज्यादातर लोग ऐसे थे, जिन्होंने नींद में ही अपनी आखिरी सांस ली. बताया गया कि करीब तीन मिनट में ही लोगों की इससे मौत हो गई.
हर साल मनाया जाता है राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस
इसी दर्दनाक याद से सबक सिखाने के लिए भारत हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाता है. सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश पर अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने फरवरी 1989 में 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 3,000 करोड़ रुपए) का मुआवजा जमा किया. ये रकम पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए थी. लेकिन, असल बंटवारा नवंबर 1992 में शुरू हुआ. शुरू में ये 'ओरिजिनल मुआवजा' कहलाया, जो घायलों, मृतकों के परिवारों और बीमार लोगों को दिया गया. कुल 5,74,394 क्लेम दाखिल हुए थे. 31 जुलाई 2024 तक 5,73,959 क्लेम स्वीकृत किए गए और कुल 1,549.33 करोड़ रुपए बांटे. यानी लगभग हर क्लेम को औसतन 27,000 रुपए मिले.
(इनपुट- IANS से भी)