Tribal Girl Success Story: JPSC की सिविल परीक्षा के नतीजे हाल ही में जारी किए गए. परिणाम घोषित होने के बाद उन सब घरों में एक अलग ही खुशी का माहौल था जो इस परीक्षा में पास हुए थे. इस परीक्षा को पास करने वाले कई उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनकी सफलता की कहानी असाधारण है. जो एक प्रेरणा का श्रोत है, आज सक्सेस स्टोरी में बात करेंगे झारखंड के पहाड़िया समुदाय की बबीता की. झारखंड के कुल 33 ट्राइब में से एक समुदाय है पहाड़िया समुदाय जो नेचर से दिल से जुड़ा और जंगलों पर ही निर्भर रहता है.
ये ट्राइब अब विलुप्त होने की हालत में है, ऐसे में सरकार इन्हें बचाने के लिए सरंक्षण करने का प्रयास कर रही है. ये समुदाय इतना गरीब है कि अपने मरने के लिए बुढापा का भी इंतजार नहीं करता. जवानी में नशे की हालत में मर जाते हैं. जगलों और शिकार पर निभर रहने वाला ये समुदाय मेन स्ट्रीम से बहुत दूर है. ऐसे माहौल से बाहर निकलकर अफसर बनना ये साधारण बात तो नहीं होगी.
दुमका के सुदूर इलाकों से आने वाली बबिता सिंह की कहानी संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास की मिसाल है. माल पहाड़िया समुदाय, जो एक आदिम जनजाति है और विलुप्त होने की कगार पर है, उस समुदाय से आने वाली बबिता ने JPSC की 11वीं व 13वीं परीक्षा में सफलता हासिल की है. उनके इस उपलब्धि की चर्चा हर तरफ हो रही है. दुमका के पुलिस अधीक्षक पीतांबर सिंह खैरवार ने अपने आवासीय कार्यालय में बबिता और उनके माता-पिता को शॉल, बुके और मिठाई देकर सम्मानित किया. इस मौके पर एसपी ने कहा कि बबिता की मेहनत और लगन ने साबित कर दिया कि संसाधनों की कमी को बहाना बनाकर नहीं, बल्कि उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर सफलता हासिल की जा सकती है.
"जबतक सरकारी नौकरी नहीं तबतक शादी नहीं करुंगी"
इंडिया टूडें की रिपोर्ट के मुताबिक, लेकिन इस जनजाति से आने वाली बबीता ने ये कर दिखाया है, उनके रास्ते काफी कांटे भरे रहे हैं. लेकिन हिम्मत और मेहनत ने उन्हें मंजिल से मिल दिया. बबीता चार भाई-बहन है, पिता ने बबीता की शादी करने करने के लिए बोला लेकिन बबिता ने साफ मना कर दिया, और कहा कि जबतक सरकारी नौकरी नहीं लगेगी तबतक शादी नहीं करेगी. फिर पिता ने छोटी बहन की शादी करा दी.
वही पहाड़िया समुदाय के लोग बबिता के घर पर उन्हें बधाई देने पहुंच रहे है. पहाड़िया समुदाय के लोग बबिता के घर पहुंचकर उन्हें और उनके माता पिता को शॉल और बुके देकर सम्मानित किया. समुदाय के प्रतियोगी छात्र बबिता को अपनी प्रेरणा मान रहे हैं. बबिता की कहानी अब युवाओं के लिए एक मिसाल बन गई है. बबिता ने अपने संघर्ष के बारे में लोगों से साझा किया और कहा की मेरे पास कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे. मैंने यूट्यूब और टेलीग्राम के जरिए पढ़ाई की और अपने नोट्स बनाए. 2021 से मैंने JPSC की तैयारी शुरू की थी। मेहनत और संघर्ष से ही मैं आज इस मुकाम पर पहुंची हूं. मैं युवाओं से कहना चाहती हूं कि मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है."
मिठाई खाने के लिए नहीं पैसे, चीनी खाकर किया मुंह मीठा
जब जेपीएससी का रिजल्ट आया तो उनके लिए वो दिन काफी खुशी भरा रहा. क्योंकि बबिता ने 337 रैंक हासिल किया था. लेकिन इस खुशी को मनाने के लिए मिठाई खाने के पैसे नहीं थे. ऐसे में उनकी मां ने अपनी बेटी को चीनी खिलाकर मुंह मीठा किया और आस-पास के लोगों को भी खिलाया. बबीता बताती हैं कि उनके गांव में न तो पक्की सड़के हैं न पीने का साफ पानी है, अब वह अपने गांव और समुदाय के लिए काम करेंगी ताकि वहां की लड़कियां पढ़ सके. ये कहानी मोटिवेशन और साहस से भरी हुई है.
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