Private Space Rocket Vikram-1: भारत के पहले प्राइवेट स्पेस रॉकेट 'विक्रम-I' की झलक पहली बार दुनिया को दिखाई गई है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद में स्काईरूट एयरोस्पेस के 'इन्फिनिटी कैंपस' के उद्घाटन के दौरान इस रॉकेट का अनावरण किया. ये पहला निजी तौर पर विकसित ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है, जो एक ही प्रक्षेपण में कई उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर सकता है. यानी अंतरिक्ष की दुनिया में ये भारत की एक नई कामयाबी की तरह है. यही वजह है कि पीएम मोदी ने भी कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के पास जो क्षमताएं हैं, वो दुनिया के कुछ ही देशों के पास हैं. आइए जानते हैं कि ये 'विक्रम-I' क्या है और इसकी कुल क्षमता कितनी है.
क्या है विक्रम-I?
विक्रम-I भारत का प्राइवेट ऑर्बिटल-क्लास लॉन्च व्हीकल है, जिसका नाम महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. ये एक फोर स्टेज रॉकेट है, जो काफी तेज और सैटेलाइट मार्केट के लिए काफी आकर्षक है. इसकी खासियत कुछ ऐसी हैं-
- विक्रम-I कुल 20 मीटर लंबा और 1.7 मीटर चौड़ा है.
- कम वजन के साथ पूरी तरह से कार्बन कंपोजिट संरचना का इस्तेमाल करते हुए ये रॉकेट 1,200 kN का थ्रस्ट पैदा करता है.
- रॉकेट काफी सरल और भरोसेमंद है, यही वजह है कि किसी भी साइट से 24 घंटे के भीतर इसे असेंबल और लॉन्च किया जा सकता है.
- विक्रम-I रॉकेट 350 किलोग्राम तक के पेलोड को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में या 260 किलोग्राम को सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट (SSO) में ले जा सकता है.
विक्रम-I के कुल चार स्टेज
पहला स्टेज (कलाम-1200): ये 10 मीटर लंबा मोटर है, जो हल्के कार्बन फाइबर से बना है. ये करीब 80 से 100 सेकेंड के लिए 120 टन का थ्रस्ट पैदा करता है. यह मोटर लॉन्चपैड से रॉकेट को 50+ किमी की ऊंचाई तक उठाती है.
दूसरा स्टेज (कलाम-250): ये भी एक तरह का फ्यूल मोटर है, जो बूस्टर सैपरेशन के बाद अपन काम करता है.
तीसरा स्टेज (कलाम-100): ये 108 सेकंड के लिए वैक्यूम में 100 kN का थ्रस्ट पैदा करता है, इसमें कार्बन एब्लेटिव नोजल का इस्तेमाल किया गया है.
चौथा स्टेज (रमन इंजन): ये हाइपरगोलिक इंजन है, जिसमें दो केमिकल के एक दूसरे के संपर्क में आते ही तुरंत इग्निशन होता है. इन इंजनों में हर एक 3.4 kN का थ्रस्ट पैदा करता है. ये रॉकेट को उसके सटीक टारगेट ऑर्बिट में लेकर जाने का काम करता है.