हैप्पी बर्थडे अजीम प्रेमजी: विदेश में पढ़ाई छोड़कर, तेल बेचने वाली कंपनी को बनाया IT सेक्टर का चमकता सितारा

Azim Premji Career: अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे अजीम प्रेमजी को 11 अगस्त, 1966 को अपनी मां का फोन कॉल आया, जिसमें उन्हें पिता की मृत्यु का संदेश दिया गया, जिसके तुरंत बाद उन्होंने भारत आकर पिता के कारोबार की कमान संभाली.

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नई दिल्ली:

Azim Premji Birthday: अजीम प्रेमजी, भारत के कारोबारी जगत में वह नाम है, जिन्हें किसी पहचान की जरूरत नहीं है. आज वह 80 साल के हो गए है. उनका जन्म 24 जुलाई, 1945 को हुआ था. अजीम प्रेमजी को वैसे तो कारोबार विरासत मिला था, लेकिन उनकी शुरुआत काफी उतार-चढ़ाव भरी रही. अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे अजीम प्रेमजी को 11 अगस्त, 1966 को अपनी मां का फोन कॉल आया, जिसमें उन्हें पिता की मृत्यु का संदेश दिया गया, जिसके तुरंत बाद उन्होंने भारत आकर पिता के कारोबार की कमान संभाली. इस दौरान कंपनी पर काफी कर्ज था, जिसे लेकर अजीम प्रेमजी ने नए सिरे से काम करना शुरू किया.

वीप्रो से पहले था वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोजक्ट लिमिटेड

उस समय वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोजक्ट लिमिटेड, जो आगे चलकर विप्रो बनी, मुंबई से 370 किलोमीटर दूर अमलनेर में एक तेल मिल चलाती थी। समय के साथ अजीम प्रेमजी को अहसास हो गया है कि अगर कारोबारी जगत में बड़े स्तर पर पांव जमाने है तो केवल तेल के कारोबार से काम नहीं चलेगा, कंपनी का अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार करना होगा. फिर अजीम प्रेमजी ने कई क्षेत्रों जैसे पाम ऑयल, साबुन और इन्फ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग आदि में विस्तार, लेकिन बड़ी सफलता इमरजेंसी समाप्त होने के बाद मिली.

प्रेमजी का नाम देश के बड़े दानवीर लोगों में भी आता है

दरअसल, 1977 में तत्कालीन मोरारजी देसाई की कैबिनेट में उद्योग मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने विदेशी कंपनियों को फेरा कानून का पालन करने को कहा. 1973 में पारित हुए इस कानून के तहत भारत में कारोबार करने के लिए विदेशी कंपनियों में बहुसंख्यक हिस्सेदारी भारतीय के पास होनी चाहिए थी या फिर कंपनी को तकनीक साझा करनी थी. कई कंपनियों ने इन कानूनों का पालन करने का फैसला लिया, लेकिन आईबीएम और कोका कोला ने देश छोड़ने का फैसला किया.

यही से अजीम प्रेमजी को आईटी सेक्टर में बड़ा अवसर दिखाई दिया और इस सेक्टर में कारोबार करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया. इसी दौरान वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोजक्ट लिमिटेड का नाम बदलकर विप्रो कर दिया गया. कंपनी ने शुरुआत में हार्डवेयर में काम करना शुरू किया, लेकिन वक्त के साथ कंपनी का सॉफ्टवेयर का कारोबार आगे निकल गया. 2019 में अजीम प्रेमजी ने विप्रो के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया. उनके बेटे रिशद प्रेमजी ने उनकी जगह ली.

मौजूदा समय में विप्रो का कारोबार 100 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है. कंपनी की मार्केट कैप करीब 2.80 लाख करोड़ रुपए है. वित्त वर्ष 25 में कंपनी ने 13,218 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था. इसके अलावा, अजीम प्रेमजी का नाम देश के बड़े दानवीर लोगों में भी आता है.अब तक वह करीब 15 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि दान कर चुके हैं.

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