Indian Civil Services History: भारत में IAS और IPS को सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में माना जाता है. हर साल लाखों युवा इन सेवाओं में जाने का सपना देखते हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि बहुत से लोग आज भी नहीं जानते कि भारत के पहले IAS और पहले IPS अधिकारी कौन थे. आजादी से पहले और बाद में देश की प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था को खड़ा करने वाले यही लोग थे. उस दौर में भारतीयों के लिए ऊंचे अफसर बनना आसान नहीं था. अंग्रेजी शासन में प्रशासन और पुलिस पर अंग्रेजों का कब्जा था. ऐसे माहौल में कुछ भारतीयों ने न सिर्फ परीक्षा पास की, बल्कि सिस्टम को अंदर से बदलने की कोशिश भी की. यही वजह है कि इन अधिकारियों की कहानी आज भी उतनी ही दिलचस्प और जरूरी है.
भारत के पहले IAS अधिकारी (First IAS Officer Of India)
सत्येंद्रनाथ टैगोर को भारत का पहला IAS अधिकारी माना जाता है. दरअसल वो इंडियन सिविल सर्विस यानी ICS के पहले भारतीय अधिकारी थे, जिन्हें आज की IAS सेवा की नींव कहा जाता है. उन्होंने साल 1864 में ब्रिटिश सिविल सेवा परीक्षा पास की थी. उस समय किसी भारतीय का ये परीक्षा पास करना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी. सत्येंद्रनाथ टैगोर, रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई थे. प्रशासन में रहते हुए उन्होंने नस्लभेद और सामाजिक भेदभाव का खुलकर विरोध किया. उन्होंने ये साबित किया कि भारतीय भी ईमानदारी और समझदारी से प्रशासन चला सकते हैं. यही वजह है कि उन्हें भारतीय प्रशासनिक इतिहास की शुरुआत करने वाला चेहरा माना जाता है.
भारत के पहले IPS अधिकारी (First IPS Officer Of India)
सीवी नरसिम्हन को भारत का पहला IPS अधिकारी माना जाता है. आजादी के बाद साल 1948 में इंडियन पुलिस सर्विस का गठन किया गया था. सीवी नरसिम्हन इसी पहले IPS बैच के सबसे वरिष्ठ अधिकारी थे. उन्हें स्वतंत्र भारत का पहला इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस भी माना जाता है. उस समय देश में कानून व्यवस्था को नई पहचान देने की जरूरत थी. नरसिम्हन ने पुलिस को सिर्फ सख्ती नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और सेवा से जोड़ने पर जोर दिया. उनकी सोच ने आने वाली पीढ़ियों के IPS अधिकारियों के लिए दिशा तय की.
क्यों खास हैं ये दोनों नाम
सत्येंद्रनाथ टैगोर और सीवी नरसिम्हन दोनों ने अपने अपने क्षेत्र में पहली मजबूत नींव रखी. एक ने प्रशासन में भारतीयों की एंट्री आसान की, तो दूसरे ने आजाद भारत की पुलिस व्यवस्था को आकार दिया. आज IAS और IPS की जो पहचान है, उसकी जड़ें इन्हीं नामों से जुड़ी हैं.