इंसान से पहले इस कुत्ते को भेजा गया था स्पेस, जो धरती पर वापस नहीं आ सका

Space Mission History: यह इंसानों से पहले स्पेस मिशन करने एक कुत्ते को स्पेस में भेजा गया था जो वापस धरती पर नहीं आ सका.

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नई दिल्ली:

Space Mission History: क्या आप जानते हैं कि इंसान से पहले स्पेस में एक कुत्ते को भेजा गया था. ये जानना काफी दिलचस्प है कि इंसान से पहले कुत्ते के कैसे भेजा गया होगा, और उसके बाद फिर क्या हुआ होगा. यह कहानी है 1950 की है, जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच स्पेस रेस चल रही थी. उस समय दोनों देश यह जानना चाहते थे कि अंतरिक्ष का सफर इंसानों के लिए कितना सेफ होगा. इसके लिए वैज्ञानिकों ने एक छोटे कुत्ते को चुना, जिसका नाम लाइका (Laika the first dog in space) था. आइए जानते हैं, कैसे उस नन्हे डॉग ने स्पेस का सफर कैसे तय किया.

स्पेस में कुत्ते को कैसे भेजा गया (How was a dog sent into space)

लाइका एक छोटा सा कुत्ता था, जिसका वजन सिर्फ 6 किलो था. उसकी उम्र करीब दो साल थी और उसका स्वभाव बहुत शांत और दोस्ताना था. सोवियत साइंटिस्ट्स ने लाइका को स्पेस के लिए खास ट्रेनिंग दी थी,  उसे एक छोटे से जगह में रखा गया, वेटलेस यानी गुरुत्वाकर्षण में बदलाव को सहना और स्पेस फूड्स खाना सिखाया गया. उसका खाना खास तरह का था, बिल्कुल जेली जैसा, जिसे जीरो ग्रेविटी में आसानी से खाया जा सके.

स्पेस में कुत्ता कब भेजा गया (When was a dog sent into space)

3 नवंबर, 1957 को सोवियत संघ ने स्पुतनिक 2 नाम का स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया. इसी में लाइका बैठी और पहली बार कोई जीव पृथ्वी की कक्षा (Earth's Orbit) में गया. कहा जाता है कि लाइका ने स्पुतनिक 2 में बैठकर पृथ्वी के ऑर्बिट में स्पेस के चक्कर भी लगाए. इस मिशन का मकसद यह समझना कि स्पेस में जाने पर इंसान के शरीर पर क्या असर पड़ेगा. लाइका को स्पेसक्राफ्ट में बैठाकर वैज्ञानिक उसकी पल्स और ब्रीथिंग लगातार ट्रैक कर रहे थे. जैसे ही रॉकेट ने उड़ान भरी, लाइका बहुत डर गई थी. उसकी हार्ट रेट तीन गुना तक बढ़ गई थी.

लाइका स्पेस से लौटी या नहीं (Did Laika return from space)

सोवियत सरकार ने शुरू-शुरू में बताया, लाइका 6-7 दिन तक जिंदा रही, लेकिन बाद में पता चला कि सिर्फ 5 से 7 घंटे ही वह जिंदा रह पाई. गर्मी और डर के कारण उसकी मौत हो गई. इस मिशन में सोवियत वैज्ञानिकों पर बहुत दबाव था. उन्हें स्पुतनिक 2 को 40वीं सालगिरह के मौके पर लॉन्च करना था, इसलिए स्पेसक्राफ्ट में लाइफ सपोर्ट की पूरी तैयारी नहीं हो पाई.

इस मिशन में गलतियां कहां हुई

यह कह सकते हैं कि यह मिशन एक तरह का सुसाइड मिशन था. उस समय इंसानों ने तो अंतरिक्ष में भेजना सीख लिया गया था, लेकिन यह नहीं पता था कि उन्हें पृथ्वी पर कैसे वापस लाना है. लाइका को जिस अंतरिक्ष यान में भेजा गया, उसमें कई तकनीकी खामियां थीं. यह रॉकेट अंतरिक्ष में तो पहुंच गया, लेकिन पृथ्वी पर लौटने में सक्षम नहीं था. इस खास ट्रेनिंग के लिए लाइका को मॉस्को की गलियों से चुनकर लाया गया था. करीब 6 घंटे ऑर्बिट में रहने के बाद, जब लाइका को ट्रैक किया गया, तो पता चला कि वह जिंदा नहीं थी. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, उस समय सोवियत संघ ने अंतरिक्ष में रिसर्च के लिए अल्बिना नाम की एक और डॉगी को भी भेजा था.

मॉस्को में लाइका की मूर्ति (Laik statue in Moscow)

2008 में मॉस्को में लाइका की मूर्ति लगाई गई, जो आज भी बताती है कि स्पेस रिसर्च में उसका कितना बड़ा योगदान है. उसके बाद कई जानवरों को भी स्पेस में भेजा गया. इसके बाद इंसानों के जाने का सिलसिला शुरू हुआ, जो आज काफी एडवांस हो चुका है.

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