TC और TTE में क्या अंतर? हर रेल यात्री का होता है इनसे सामना, जानें वर्दी से लेकर सैलरी तक

TC और TTE. ज्यादातर लोग इन्हें एक जैसा समझ लेते हैं, लेकिन असल में इनकी ड्यूटी और काम करने का तरीका अलग होता है. इस आर्टिकल में जानिए रेलवे में TC और TTE कौन होते हैं, इनकी जिम्मेदारियां क्या हैं और इनकी सैलरी में कितना फर्क है.

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नई दिल्ली:

Railway Jobs: ट्रेन पकड़ने से पहले स्टेशन पर या सफर के दौरान आपसे टिकट मांगने वाला अधिकारी जरूर मिलता है. कभी कोई ब्लैक कोट पहने होता है, तो कभी सफेद शर्ट और बैज के साथ ट्रेन में टिकट चेक करता है. यही हैं TC और TTE. ज्यादातर लोग इन्हें एक जैसा समझ लेते हैं, लेकिन असल में इनकी ड्यूटी और काम करने का तरीका अलग होता है. इस आर्टिकल में जानिए रेलवे में TC और TTE कौन होते हैं, इनकी जिम्मेदारियां क्या हैं और इनकी सैलरी में कितना फर्क है.

TC और TTE कहां मिलते हैं

TC यानी Ticket Collector आमतौर पर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म या गेट पर तैनात रहते हैं. इनका काम यात्रियों की टिकट चेक करना होता है और अगर कोई बिना टिकट पकड़ा जाए तो तुरंत जुर्माना लगाते हैं. वहीं TTE यानी Travelling Ticket Examiner का सामना आपको ट्रेन के अंदर होता है. ये न सिर्फ टिकट बल्कि यात्री की ID और रिजर्व सीट भी चेक करते हैं.

क्या दोनों एक ही हैं?

असल में टीसी और टीटीई दोनों को लोग टिकट चेकर ही मानते हैं, बस जगह के हिसाब से इनके नाम अलग हो जाते हैं. TTE शब्द का मतलब है Travelling Ticket Examiner, जबकि TC को Ticket Collector कहा जाता है. प्लेटफॉर्म पर चेक करने वाले TC होते हैं, वहीं चलती ट्रेन में टिकट और सीट देखने वाले TTE. रेलवे में कुछ टीसी सादी ड्रेस में भी होते हैं जो फ्लाइंग स्क्वॉड की तरह स्टेशन पर अचानक चेकिंग करते हैं. कभी-कभी ये दोनों जिम्मेदारियां एक ही व्यक्ति को भी दी जा सकती हैं.

सैलरी कितनी होती है

रेलवे में TC और TTE की सैलरी 7वें वेतन आयोग के अनुसार तय होती है. TC की पोस्ट लेवल-3 पे मैट्रिक्स में आती है, जबकि TTE की पोस्ट लेवल-5 में होती है. बेसिक पे के साथ DA, HRA और अन्य भत्ते जोड़ने के बाद इनकी इन-हैंड सैलरी औसतन 35,000 से 55,000 रुपये प्रति माह के बीच रहती है.

कैसे बन सकते हैं TC या TTE?

रेलवे जॉब चाहने वाले युवाओं के बीच TC और TTE की पोस्ट काफी पॉपुलर है. इसके लिए 12वीं पास होना और कम से कम 50% मार्क्स जरूरी हैं. कुछ रिक्रूटमेंट में डिप्लोमा भी मांगा जाता है. रेलवे समय-समय पर इन पदों के लिए वैकेंसी निकालता है और उम्मीदवार का चयन लिखित परीक्षा व मेरिट के आधार पर होता है.

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