Delhi-NCR Work From Home: दिल्ली और पूरे एनसीआर में फैली जहरीली हवा साफ होने का नाम नहीं ले रही है, एयर क्वालिटी इंडेक्ट (AQI) लगातार 400 के पार है. यानी इस हवा में सांस लेने वाले लोगों को कई तरह की परेशानी हो सकती है और ये उनकी जिंदगी के कई साल कम कर सकती है. इसी बीच पॉल्यूश से निपटने के लिए लगातार सख्ती बढ़ाई जा रही है. अब दिल्ली-एनसीआर में काम करने वाले कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम मिल सकता है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की तरफ से बताया गया है कि ग्रैप-3 में ही ग्रैप-4 के कुछ प्रावधान जोड़े जा रहे हैं, जिसमें 50 प्रतिशत कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम देने की बात कही गई है. आइए जानते हैं कि कैसे ये नियम लागू होते हैं और किन कर्मचारियों को राहत मिल सकती है.
क्या है CAQM का फैसला?
दिल्ली में पॉल्यूशन को देखते हुए ग्रैप-3 के प्रतिबंध लागू हैं, जिसमें कई तरह की पाबंदियां शामिल हैं. अब इसी ग्रैप-3 को थोड़ा और सख्त किया जा रहा है. यानी ग्रैप-4 लागू नहीं किया जा रहा है, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों को ही ग्रैप-3 में शामिल किया गया है. इसमें दिल्ली-एनसीआर के तहत राज्य सरकारों और केंद्रीय कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम देने की सलाह दी गई है. सरकार को 50 फीसदी कर्मचारियों को घर से काम करवाने की सलाह दी गई है. जिसके बाद अब जल्द सरकारें इस पर फैसला ले सकती हैं. इसके अलावा प्राइवेट कंपनियों में भी यही रूल लागू हो सकता है, फिलहाल इसे लेकर सरकार को सलाह दी गई है.
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कैसे होता है काम?
आमतौर पर जब ऐसे नियम लागू होते हैं तो दफ्तरों में आधी स्ट्रेंथ के साथ काम होता है. यानी अगर किसी दफ्तर में 500 लोग काम करते हैं तो वहां सिर्फ 250 लोगों को ही दफ्तर बुलाया जाता है, बाकी 250 घर से काम करते हैं. इसे लेकर विभाग या सरकार नियम तय करती है. इसमें एक-एक हफ्ते का नियम भी तय हो सकता है, वहीं कुछ दफ्तरों में ऑड-ईवन वाला सिस्टम भी लागू किया जा सकता है. यानी एक दिन आधे कर्मचारी ऑफिस आएं और दूसरे दिन वर्क फ्रॉम होम करें.
क्या होता है ग्रैप-4?
पॉल्यूशन से लोगों को बचाने के लिए ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान यानी GRAP के नियम लागू किए जाते हैं. ग्रैप-3 तक ही ज्यादातर प्रतिबंध लागू हो जाते हैं, वहीं जब प्रदूषण का स्तर 451 तक या इससे ज्यादा हो जाता है तो ग्रैप-4 लागू किया जाता है. इसमें स्कूलों को हाइब्रिड मोड पर चलाने, दफ्तरों में वर्क फ्रॉम होम देने की सलाह और कमर्शियल वाहनों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाया जाता है. स्कूलों और दफ्तरों को बंद रखने का फैसला सरकार के हाथ में होता है, CAQM की तरफ से सिर्फ इसकी सलाह दी जाती है.
स्कूलों को लेकर फैसला
इससे पहले जब ग्रैप-3 लागू हुआ था, तब दिल्ली में पांचवीं क्लास तक के बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस लेने की इजाजत दी गई थी. फिलहाल दिल्ली में पांचवीं तक की क्लासेस हाइब्रिड मोड पर चल रही हैं. प्रदूषण का स्तर ऐसे ही लगातार बढ़ता रहा तो स्कूलों को पूरी तरह से हाइब्रिड मोड पर चलाने का फैसला भी लिया जा सकता है. CAQM की तरफ से एनसीआर के स्कूलों में भी ऐसा ही नियम लागू करने की सलाह दी गई थी, हालांकि प्रशासन की तरफ से फैसला अब तक नहीं लिया गया.