Australia Formation Story: कथावाचक अनिरुद्धाचार्य सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते हैं, उनके कई ऐसे क्लिप शेयर किए जाते हैं, जिनमें वो लोगों से बातचीत के दौरान मजाकिया अंदाज में नजर आते हैं. अब अनिरुद्धाचार्य का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वो ऑस्ट्रेलिया के बनने की कहानी बताते दिख रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि राम-रावण के युद्ध के बाद हजारों-लाखों तलवारें पड़ी थीं. इन सभी अस्त्रों को जिस जगह पर ले जाया गया, उसे अस्त्रालय कहा गया. बाद में लोग इसे ऑस्ट्रेलिया के नाम से जानने लगे. अब ऐसे में सवाल है कि क्या वाकई ऐसा हुआ था या फिर अनिरुद्धाचार्य का दावा पूरी तरह से फर्जी है. आइए जानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया कैसे बना था और इसमें किसकी सबसे बड़ी भूमिका रही.
क्या बोले अनिरुद्धाचार्य
अपने बयानों से वायरल कंटेंट देने वाले अनिरुद्धाचार्य ने ऑस्ट्रेलिया बनने की कहानी में बताया, जब राम-रावण का युद्ध पूरा हुआ तो वहां हजारों-लाखों तलवारें पड़ी थीं, क्योंकि लंका के करोड़ों सैनिक मारे गए. रावण के एक लाख बेटे और सवा लाख नाती थे. सब के सब मारे गए और सभी के अस्त्र-शस्त्र से वहां कचरा हो गया. राम को ये देखकर चिंता हुई कि ये अस्त्र अगर किसी के हाथ लग जाएंगे तो इसका मिसयूज हो सकता है. इसके बाद राम जी ने अपनी सेना से कहा कि कुछ नाव तैयार करो और यहां से करीब 10 हजार किमी की दूरी पर ये अस्त्र रखकर आओ. जिस जगह ये अस्त्र रखे गए उसे अस्त्रालय और बाद में ऑस्ट्रेलिया कहा गया.
सोनिया गांधी को कब मिली थी भारत की नागरिकता? जानें इसके लिए कहां करना होता है आवेदन
कैसे बना ऑस्ट्रेलिया?
ग्रीक दार्शनिक अरस्तु ने पहले ही ये कह दिया था कि उत्तरी गोलार्ध की तरह धरती के दक्षिणी गोलार्थ में भी जमीन का कोई हिस्सा जरूर होना चाहिए. यूरोप के लोगों को काफी वक्त तक ऐसा लगा कि दक्षिणी हिस्से में कोई नहीं रहता है. हालांकि यहां पहले से ही लोग रहते थे. बताया जाता है कि ऑस्ट्रेलिया में लोग कई हजार साल पहले आए थे. इस बात की पुष्टि तब हुई जब 1606 में डच खोजी विलेम जैंसजून ऑस्ट्रेलिया के एक हिस्से पर पहली बार पहुंचे थे. इसके बाद कई खोजी यहां आए और उन्होंने अलग-अलग खुलासे किए.
कैदियों को रखने की जगह बना ऑस्ट्रेलिया
इंग्लैंड से आए ल्यूटिनेंट जेम्स कुक ने ऑस्ट्रेलिया पहुंचकर यहां का नक्शा तैयार किया और तमाम तरह की जानकारी भी जुटाई. इसके बाद ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया की जमीन को इस्तेमाल करने का फैसला किया. दरअसल ब्रिटेन में एक कानून लाया गया था, जिसे ‘ब्लडी कोड' नाम दिया गया. इसमें छोटे से छोटे अपराध के लिए मौत की सजा दी जाती थी. बाद में लोग इसका विरोध करने लगे और फिर सजा का तरीका बदल दिया गया. इसमें ब्रिटेन में मौजूद कैदियों को किसी दूसरे द्वीप में भेजने की बात कही गई. जेम्स कुक पहले ही ऑस्ट्रेलिया का नक्शा तैयार कर चुके थे, इसीलिए ऐसे तमाम कैदियों को ऑस्ट्रेलिया भेजने का फैसला लिया गया.
जनवरी 1788 में पहली बार मालवाहक जहाजों से कैदियों को ऑस्ट्रेलिया भेजा गया. इसमें सैकड़ों कैदी और कुछ सेना के जवान शामिल थे. 26 जनवरी को ये बेड़ा सिडनी के पोर्ट जैक्सन पहुंचा, ये वही दिन है जिसे ऑस्ट्रेलिया डे के तौर पर मनाया जाता है. इसके बाद कुछ ही साल में लाखों कैदी इस जगह पहुंचने लगे. ब्रिटेन यहां इन कैदियों की मदद से नई कॉलोनी और बसावट करने लगा. इसके बाद इन्हीं कैदियों ने वहां रहकर अपना काम शुरू किया और ऐसे एक नया देश बनने की शुरुआत हो गई.
ऐसे बन गया ऑस्ट्रेलिया देश
1850 तक ऑस्ट्रेलिया में कुछ ऐसे लोग भी आने लगे, जो यहां अपना बिजनेस शुरू करना चाहते थे. इस तरह यहां आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ने लगीं और फिर ब्रिटेन की सरकार ने यहां की कॉलोनियों को स्थानीय सरकार के तौर पर मान्यता दी. 1890 तक सभी सेल्फ गवर्नमेंट कॉलोनियों ने मिलकर एक यूनियन बनाने का फैसला लिया. दक्षिण ऑस्ट्रेलिया, पश्चिम ऑस्ट्रेलिया, तस्मानिया, क्वींसलैंड, न्यू-साउथ वेल्स और विक्टोरिया ने मिलकर कॉमनवेल्थ ऑफ ऑस्ट्रेलिया बनाया.
इस तरह ऑस्ट्रेलिया एक देश के तौर पर सामने आया, क्योंकि इसे बनाने में कैदियों की काफी अहम भूमिका रही, ऐसे में कुछ लोग इसे कैदियों का देश भी कहते हैं. लैटिन भाषा में ऑस्ट्रेलिस शब्द का मतलब दक्षिणी क्षेत्र होता है. इसीलिए शुरुआती दौर में, जब ये ये एक अज्ञात भूभाग था, तब खोजकर्ता पेड्रो फर्नांडीस डी क्विरोस ने इसे 'टेरा ऑस्ट्रेलिया इंकॉग्निटो' नाम दिया था, बाद में ब्रिटिश सरकार ने भी इसी नाम को अपनाया और इस नए देश का नाम ऑस्ट्रेलिया पड़ा.