तमिलनाडु विधानसभा ने प्रस्ताव पारित कर केंद्र से सीयूईटी को वापस लेने का किया आग्रह 

इसमें कहा गया है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि नीट की तरह सीयूईटी देश भर में विविध स्कूली शिक्षा प्रणाली को दरकिनार कर देगा, स्कूलों में समग्र विकासोन्मुख दीर्घकालिक शिक्षा की प्रासंगिकता को कम कर देगा और छात्रों को अपने प्रवेश परीक्षा अंक में सुधार के लिए कोचिंग केंद्रों पर निर्भर बना देगा.

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नई दिल्ली:

तमिलनाडु विधानसभा (Tamil Nadu Assembly ) ने सोमवार को एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें केंद्र से केंद्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (Common University Entrance Test) आयोजित करने के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया गया है. 

मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (Chief Minister M K Stalin) ने विधानसभा में यह प्रस्ताव पेश किया. इसमें केंद्र सरकार से प्रवेश परीक्षा संबंधी फैसला वापस लेने का आग्रह किया गया है. इसमें कहा गया है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (NEET) की तरह सीयूईटी देश भर में विविध स्कूली शिक्षा प्रणाली को दरकिनार कर देगा, स्कूलों में समग्र विकासोन्मुख दीर्घकालिक शिक्षा की प्रासंगिकता को कम कर देगा और छात्रों को अपने प्रवेश परीक्षा अंक में सुधार के लिए कोचिंग केंद्रों पर निर्भर बना देगा.

प्रस्ताव के अनुसार, ‘‘सदन को लगता है कि कोई भी प्रवेश परीक्षा जो राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के पाठ्यक्रम पर आधारित है, उन सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान नहीं करेगी जिन्होंने देश भर में विभिन्न राज्यों के बोर्ड के पाठ्यक्रम का अध्ययन किया है.''

मुख्यमंत्री के प्रस्ताव का विरोध करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सदन से बहिर्गमन किया, जबकि मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक और सत्तारूढ़ द्रमुक के सहयोगियों-कांग्रेस और वाम दलों सहित अन्य ने प्रस्ताव का समर्थन किया. विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु ने कहा कि प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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