IIT जोधपुर के शोधकर्ताओं ने तैयार किया 'कैम्पस रक्षक', शिक्षण परिसरों में कोरोना प्रसार रोकने में करेगा मदद

जोधपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के शोधकर्ताओं ने शैक्षणिक संस्थानों के लिए ‘कैम्पस रक्षक’ नामक प्रारूप तैयार किया है.

विज्ञापन
Read Time: 23 mins
कैंपस रक्षक के चार घटक हैं- टेपेस्ट्री पूलिंग, गो कोरोना गो ऐप, सिमुलेटर और हेल्थबैज
नई दिल्ली:

जोधपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के शोधकर्ताओं ने शैक्षणिक संस्थानों के लिए ‘कैम्पस रक्षक' नामक प्रारूप तैयार किया है, जिसके तहत कोविड-19 के संभावित प्रसार को रोकने तथा शैक्षणिक परिसरों को समुचित तौर पर फिर से खोलने के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. इस प्रारूप में कई एप्लीकेशन्स और टूल्स समाहित होंगे. आईआईटी जोधपुर ने इस पहल के माध्यम से परिसरों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आईआईएससी बेंगलुरु, आईआईटी खड़गपुर, आईआईआईटी हैदराबाद, आईआईटी बम्बई, एल्गोरिथम बायोलॉजिक्स प्राइवेट लिमिटेड, हीथबैज प्राइवेट लिमिटेड और पृथ्वी.एआई के साथ सहयोग किया है.

यद्यपि कैंपस रक्षक के दो प्रोटोटाइप का आईआईटी जोधपुर और आईआईआईटी हैदराबाद में एक साथ परीक्षण किया गया है, लेकिन टीम देश भर के शैक्षणिक परिसरों तक पहुंचने के लिए किफायती और लचीले मूल्य निर्धारण मॉडल, उत्पाद, विपणन और बिक्री से संबंधित रणनीति तैयार करने के लिए बातचीत कर रही है.

कैंपस रक्षक के चार घटक हैं- टेपेस्ट्री पूलिंग, गो कोरोना गो ऐप, सिमुलेटर और हेल्थबैज. ये एक एकल मंच बनाते हैं, जो कोविड-19 के खिलाफ शैक्षणिक परिसरों के लिए निगरानी, ​​​​पूर्वानुमान और राहत रणनीतियों की सिफारिश करते हैं.

Advertisement

आईहब दृष्टि के मुख्य तकनीकी अधिकारी मानस बैरागी ने कहा, ‘‘टेपेस्ट्री पूलिंग विधि कई पूल को अलग-अलग नमूने देती है, जिससे स्क्रीनिंग की लागत एक-चौथाई हो जाती है. प्रत्येक पूल के परिणामों के आधार पर एल्गोरिदम कोविड-19 के पॉजिटिव नमूनों का पूर्वानुमान बताता है.''

Advertisement

आईआईटी, जोधपुर में आईहब दृष्टि एक टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब है जो कंप्यूटर विज़न, ऑगमेंटेड रियलिटी और वर्चुअल रियलिटी पर केंद्रित है.

Advertisement

बैरागी ने कहा, ‘‘ ‘गो कोरोना गो ऐप' आरोग्य सेतु के समान एक मोबाइल ऐप है, लेकिन कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने को लेकर सही निर्णय लेने के लिए प्रशासन को डेटा उपलब्ध कराता है. इसका प्राथमिक उद्देश्य संपर्क की पहचान करना है। उपयोगकर्ता इससे फोन के ब्लूटूथ के माध्यम से कैंपस सर्वर से जुड़े रहेंगे.''

Advertisement

बैरागी ने कहा, ‘‘भविष्य में परिसर सस्ती कीमत पर स्क्रीनिंग और पूलिंग रणनीतियों में स्वदेशी नवाचारों के साथ ‘कैपस रक्षक' पर भरोसा करने में सक्षम होंगे. इस तकनीक का उपयोग करके, भविष्य की महामारियों को नियंत्रित किया जा सकता है और देश और दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों का मूल्यांकन किया जा सकता है.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Champions Trophy 2025 Final पर लगभग 5 हजार करोड़ का सट्टा लगा, जानिए कौन-सी है पसंदीदा टीम?
Topics mentioned in this article