अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE)के अध्यक्ष अनिल डी सहस्रबुद्धे ने शनिवार को शिक्षण-शिक्षण प्रक्रिया में बदलाव लाने के लिए शिक्षा की सभी धाराओं में पाठ्यक्रम में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया. पाठ्यचर्या एक जीवंत चीज है. हम दशकों तक पाठ्यक्रम पर नहीं सो सकते. प्रोफेसर सहस्रबुद्धे ने कहा कि दुनिया भर में हो रहे बदलावों को सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में आना होगा.
AICTE के अध्यक्ष ने SRM यूनिवर्सिटी-एपी द्वारा आयोजित एक आभासी सम्मेलन में भारत में उच्च शिक्षा पर एक व्याख्यान दिया. यह कहते हुए कि सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों को पाठ्यक्रम संशोधन के लिए जाना अनिवार्य है, सहस्रबुद्धे ने कहा कि यहां तक कि कला, विज्ञान और वाणिज्य धाराओं को भी इसके लिए जाना चाहिए.
नई शिक्षा नीति-2020 के तहत हमने स्नातक छात्रों के लिए इंटर्नशिप, प्रोजेक्ट आधारित अनुभवात्मक शिक्षा के अलावा फैकल्टी के प्रशिक्षण को भी अनिवार्य कर दिया है, जो बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि AICTE ने आठ मॉड्यूल फैकल्टी सर्टिफिकेशन प्रोग्राम बनाया है जो शिक्षकों के पूरे जीवनचक्र को कवर करेगा.
यह देखते हुए कि COVID युग में कक्षा से ऑनलाइन शिक्षा में परिवर्तन हुआ है, सहस्रबुद्धे ने कहा कि कहीं न कहीं गुणवत्ता थोड़ी प्रभावित हुई है. हम निश्चित रूप से इससे उबर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमें कक्षा-प्रकार की शिक्षा को दोहराना और फिर से तैयार करना होगा. हालांकि, हमें जल्द से जल्द इस (COVID संकट) से बाहर निकलना होगा और कक्षाओं और परिसरों में वापस जाना होगा.
AICTE प्रमुख ने कहा कि यह समय की मांग है. सहस्रबुद्धे ने कहा कि सभी चीजें ऑनलाइन नहीं की जा सकतीं. उन्होंने कहा, मानव-से-मानव स्पर्श महत्वपूर्ण है. प्रौद्योगिकी की ताकत का उपयोग करते हुए शिक्षा का एक मिश्रित तरीका (कक्षा और ऑनलाइन) आवश्यक है. आंध्र प्रदेश सरकार के विशेष मुख्य सचिव (उच्च शिक्षा) सतीश चंद्र, एसआरएम विश्वविद्यालय-एपी के प्रो-वाइस चांसलर डी नारायण राव, कुलपति वीएस राव और अन्य उपस्थित थे.
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