Independence Day 2021: लंबे संघर्ष के बाद, आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया था. कई वर्षों से ब्रिटिश शासन के नीचे दबे हुए देशवासियों ने खुली हवा में सांस ली थी. जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत में अपना पहला सार्वजनिक भाषण देकर इस अवसर पर शुरुआत की थी.
वहीं हम जानते हैं कि ब्रिटिश शासन से आजादी दिलाने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन ये कम लोग जानते हैं कि जब देश आजाद हुआ था उस समय महात्मा गांधी कहां थे. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि वो उस दिन सेलिब्रेट नहीं कर रहे थे. इसके बजाय, वह 15 अगस्त 1947 को बंगाल के नोआखली में थे. जहां वह वे हिंदू-मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे. स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को खत भी लिखा था, लेकिन वह नहीं आए.
बता दें, गांधी हिंदू-मुस्लिम समुदाय में सद्भाव लाने की कोशिश करने के लिए बंगाल की राजधानी में थे. एक-दूसरे के खून के प्यासे दोनों धर्म महीनों से हिंसा में लिप्त थे. बंगाल समुदाय में आग लगी हुई थी और गांधी उसे बुझाने के लिए वहां मौजूद थे.
महात्मा गांधी ने कहा था, “मैं 15 अगस्त को आनन्दित नहीं हो सकता. मैं धोखा नहीं देना चाहता. लेकिन साथ ही, मैं आपको आनन्दित न होने के लिए नहीं कहूंगा, दुर्भाग्य से, आज हमें जिस तरह की आजादी मिली है, उसमें भारत और पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं. इसलिए, हम दीये कैसे जला सकते हैं?
” जब देश आजाद हुआ, कलकत्ता में, महात्मा गांधी चिंतित थे और विभाजन द्वारा किए गए रक्तपात को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे. महात्मा गांधी ने कहा था, "मेरे लिए, स्वतंत्रता की घोषणा की तुलना में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शांति अधिक आवश्यक है."