गोवा सरकार ने ऑफलाइन कक्षाओं के लिए माता-पिता की सहमति को अनिवार्य बनाने वाला सर्कुलर वापस लिया

गोवा सरकार ने मंगलवार को वह सर्कुलर वापस ले लिया, जिसमें बच्चों के लिए ऑफलाइन मोड में कक्षाओं में भाग लेने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य थी.

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ऑफलाइन कक्षाओं के लिए कंसेंट लेटर की जरूरत नहीं
नई दिल्ली:

देश में लगभग ढाई साल बाद आम जन जीवन सामान हो रहा है. कोविड-19 के कम होते मामलों के बीच देशभर में स्कूल-कॉलेजों को पहले की तरह खोला जा रहा है, ऐसे में ऑफलाइन कक्षाओं के लिए माता-पिता की सहमति की अनिवार्यता का कोई मतलब नहीं बनता है. इसे देखते हुए गोवा सरकार ने मंगलवार को वह सर्कुलर वापस ले लिया, जिसमें बच्चों के लिए ऑफलाइन मोड में कक्षाओं में भाग लेने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य थी. इसका मतलब है कि सभी कक्षाओं के बच्चों को अब स्कूल आना होगा और स्कूल आने के लिए बच्चों को माता-पिता के कंसेंट लेटर की आवश्यकता नहीं होगी. 

प्रदेश सरकार द्वारा जारी किए गए नए सर्कुलर में राज्य के शिक्षा निदेशक भूषण सवाइकर ने सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और विशेष विद्यालयों के प्रमुखों से छात्रों को शारीरिक रूप से कक्षाओं में भाग लेने के लिए माता-पिता की सहमति पर जोर नहीं देने का अनुरोध किया.

बता दें कि नया सर्कुलर तब आया है जब कुछ माता-पिता ने सहमति प्रपत्रों पर आपत्ति जताई थी, जिन पर संस्थानों को माता-पिता से हस्ताक्षर चाहिए थे.

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इस तटीय राज्य में COVID-19 मामलों की संख्या में भारी गिरावट के बाद, सभी शैक्षणिक संस्थानों ने पिछले सप्ताह से शारीरिक कक्षाएं शुरू कर दी हैं. राज्य के शिक्षा निदेशक भूषण सवाइकर ने कहा कि माता-पिता से सहमति की आवश्यकता को वापस लेने वाला सर्कुलर सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से जारी किया गया है.

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बता दें कि गोवा में सोमवार को कोरोना वायरस के 18 नए मामले दर्ज किए, जिसमें संक्रमण के मामलों की संख्या 2,45,019 हो गई.

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