DU Reopen News: डीयू के कई कॉलेजों में खुले में हो रही हैं कक्षाएं, कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से हो रहा है पालन

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कई कॉलेज खुले मैदान में कक्षाओं का आयोजन कर रहे हैं. ताकि एक-दूसरे से दूरी सुनिश्चित की जा सके, क्योंकि अधिकतर विद्यार्थी कक्षाओं में शामिल होने के लिए कॉलेज पहुंचने लगे हैं.

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करीब दो साल बाद 17 फरवरी से खुलें हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज
नई दिल्ली:

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कई कॉलेज खुले मैदान में कक्षाओं का आयोजन कर रहे हैं. ताकि एक-दूसरे से दूरी सुनिश्चित की जा सके, क्योंकि अधिकतर विद्यार्थी कक्षाओं में शामिल होने के लिए कॉलेज पहुंचने लगे हैं. कॉलेज उन विद्यार्थियों को नियमित परामर्श उपलब्ध करा रहे हैं जो मनोवैज्ञानिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं, ताकि उन्हें नए माहौल में खुद को ढालने में मदद मिल सके.

दिल्ली विश्वविद्यालय पिछले बृहस्पतिवार को खुला था और विद्यार्थी अच्छी खासी संख्या में कॉलेजों का रुख कर रहे हैं. कॉलेजों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में विद्यार्थियों की संख्या में और इज़ाफा होगा.

कॉलेज के प्रधानाचार्यों के मुताबिक, बहरहाल, बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के कॉलेज लौटने से कोविड प्रोटोकॉल सुनिश्चित करने में दिक्कत आ रही है। इससे भी ज्यादा यह है कि विद्यार्थियों में मनोवैज्ञानिक परेशानियां सामने आ रही हैं.

हिंदू कॉलेज की प्रधानाचार्य अंजू श्रीवास्तव ने पीटीआई-भाषा से कहा, “ हम कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं. बड़ी संख्या में विद्यार्थी आ रहे हैं, ऐसे में सामाजिक दूरी का पालन करना मुश्किल हो रहा है. भीड़भाड़ की भी समस्या है. एक दूसरे से दूरी बनाना नामुमकिन है, लेकिन हम मास्क और अन्य प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करा रहे हैं.”

श्रीवास्तव का मानना है कि कॉलेज दो साल बाद खुले हैं, ऐसे में चीज़ों के स्थिर होने में समय लगेगा. इस बीच, रामजस कॉलेज के प्रधानाचार्य मनोज खन्ना ने कहा कि विद्यार्थियों में चिंता का स्तर बहुत अधिक है. उन्होंने कहा, “ विद्यार्थियों में अचानक मनोवैज्ञानिक परेशानियां बढ़ गईं हैं. विद्यार्थियों में चिंता का स्तर बहुत अधिक है। हम उन्हें काउंसलर के पास भेजते हैं.”

उनके मुताबिक, परिसर में एक-दूसरे से दूरी बनाए रखना काफी मुश्किल है. खन्ना ने कहा, “हमारी बुनियादी सुविधाएं ऐसी नहीं हैं कि हम सभी विद्यार्थियों को समायोजित कर सकें. इसलिए हम बैच में कक्षाएं ले रहे हैं. हम विद्यार्थियों को अलग-थलग नहीं कर सकते हैं. हालांकि हम कक्षाओं में एक दूसरे से दूरी बनाए रखने की कोशिश करते हैं लेकिन विद्यार्थी बाहर मिलते हैं और उन्हें एक दूसरे से दूरी बनाए रखने के लिए मजबूर करना बहुत मुश्किल होता है.” कॉलेजों ने कहा है कि वे सुनिश्चित कर रहे हैं कि छात्रों को उचित परामर्श प्रदान किया जाए.

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गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज के प्रधानाचार्य जसविंदर सिंह ने बताया, 'हमारे पास प्रशिक्षित काउंसलर हैं. हम विद्यार्थियों को परामर्श उपलब्ध करा रहे हैं। काउंसलर हफ्ते में दो बार आते हैं.” भीड़भाड़ से बचने के लिए कुछ शिक्षक खुले मैदान में कक्षाएं भी ले रहे हैं. हिंदू कॉलेज के प्रधानाचार्य ने कहा, “हमने खुले में कक्षाएं लगाने के लिए बाहर बैठने की छूट दी है. कई शिक्षक खुले में कक्षाएं ले रहे हैं.

मिरांडा हाउस की प्रधानाचार्य बिजयलक्ष्मी नंदा ने कहा कि प्राथमिकता ये है कि विद्यार्थियों को कॉलेज का पूरा अनुभव मिले और इसमें यह ध्यान रखा जाए कि उनका स्वास्थ्य प्रभावित न हो. उन्होंने कहा कि आर्थिक तंगी का सामना कर रही छात्राओं को सहायता प्रदान करने के लिए कॉलेज इस वर्ष एक नई कल्याण योजना शुरू कर रहा है.

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नंदा ने बताया, “ छात्रवृत्ति के अलावा यह नई चीज है, जो हम शुरू कर रहे हैं, जो सिर्फ इसी साल के लिए उपलब्ध होगी. इसके तहत जरूरतमंद छात्राओं को आर्थिक मदद दी जाएगी. इस अवधि के दौरान छात्राओं को जरूरत के आधार पर कुछ राशि कल्याण सहायता के तौर पर दी जाएगी.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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