डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनीष सिसोदिया ने कहा, ' पहले वैक्सीन सुरक्षा फिर 12वीं की परीक्षा'

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 12वीं बोर्ड परीक्षा लेकर हुई डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 12वीं की बोर्ड परीक्षा से पहले छात्रों को टीके लग जाने चाहिए.

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नई दिल्ली:

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को केंद्र को बताया कि छात्रों का टीकाकरण करने से पहले कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करना एक बड़ी गलती साबित हो सकती है. सिसोदिया ने यह सुझाव शिक्षा मंत्रालय द्वारा बुलाई गई एक उच्च स्तरीय बैठक में दिया जो अभी चल रही है.

उन्होंने ट्वीट किया, "केंद्र सरकार के साथ बैठक में बोर्ड परीक्षा से पहले कक्षा 12वीं के छात्रों के टीकाकरण की व्यवस्था करने की मांग उठाई है. छात्रों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर परीक्षा आयोजित करना एक बड़ी गलती साबित होगी. उन्हों कहा,  पहले टीका, फिर परीक्षा का आयोजन किया जाना चाहिए.

मनीष सिसोदिया ने एक वीडियो के माध्यम से भी बताया कि केंद्र और राज्य सरकार इस बात से सहमत है कि ऐसी परिस्थिति में छात्रों की परीक्षा का आयोजन करना आसान काम नहीं है.

 मनीष सिसोदिय ने कहा, केंद्र सरकार के दो प्रस्ताव थे उसमें एक प्रस्ताव था कि 12वीं कक्षा के बच्चों की परीक्षा पहले की तरह लें लेकिन कुछ चुने हुए विषयों की ही परीक्षा लें. जैसे 200 विषयों में से 20 अहम विषय की परीक्षा लें और उन्हीं के आधार पर बाकी विषय के भी मार्क तय हो जाएं.

दूसरा प्रस्ताव ये था कि परीक्षा लें, लेकिन उसका पैटर्न थोड़ा बदला जाए. स्कूल में ही परीक्षा हो ऑब्जेक्टिव सवाल आए, 3 घंटे की जगह डेढ़ घंटे की परीक्षा हो और बच्चों की कॉपी चेक करने का काम भी स्कूल के अंदर ही हो.  इसमें यह भी बात थी कि बच्चे अपने सब्जेक्ट चुन लें और किन्ही तीन-चार विषयों के पेपर को दें. उन्होंने कहा, कल मैंने दिल्ली के बहुत सारे सरकारी और प्राइवेट स्कूल के टीचर और प्रिंसिपल के साथ बात की, पेरेंट्स के साथ संवाद किया.

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सारी बातचीत के आधार पर मैंने दिल्ली की तरफ से 12वीं कक्षा के बच्चों के बारे में सरकारों को क्या कदम उठाने चाहिए इस पर मैंने राय रखी. पूरे देश में इस वक्त करीब डेढ़ करोड़ बच्चे हैं जो 12वीं क्लास में पढ़ते हैं. कोरोना काल संकट के दौरान पेरेंट्स टीचर और खुद के बच्चे सब के सब बहुत उम्मीद भरी निगाहों से सरकारों की तरफ देख रहे हैं और खास तौर से केंद्र सरकार की तरफ देख रहे हैं केंद्र सरकार 12वीं की परीक्षाओं के बारे में निर्णय लें ताकि छात्र 12वीं क्लास से आगे निकले.

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उन्होंने कहा,  कोरोना की तीसरी लहर की बात भी सामने आ रही है जिसमें आशंका है कि बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है.  ऐसे में अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में दिल्ली सरकार का मानना है कि बच्चों की सेहत और सुरक्षा से खिलवाड़ करके हमको परीक्षा पूरा करने का शौक पूरा नहीं करना चाहिए.

शिक्षण संस्थाएं या शिक्षा व्यवस्था की अपनी अलग मजबूरी और पाबंदियां हैं जिसमें परीक्षा होनी चाहिए यह तय होता है. दिल्ली सरकार ने आज केंद्र सरकार को कह दिया है कि हम किसी भी तरह की परीक्षा करवाने के पक्ष में नहीं हैंहमारी राय में यह वक्त परीक्षा करवाने का नहीं है

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मनीष सिसोदिया ने कहा, हमारा मानना है कि हिस्टोरिकल रिफरेंस के आधार पर बच्चे का मूल्यांकन करें और उसको 12वीं की परीक्षा में पास करें.  अगर कोई बच्चा कहता है कि मुझे हिस्टोरिकल रेफरेंस के आधार पर पास नहीं होना है तो जैसा हमने दसवीं में उसको ऑप्शन दिया कि समय आने पर हम उसकी परीक्षा करवाएंगे और उसके मार्ग को अपग्रेड कर देंगे

बात केवल बोर्ड की परीक्षा की नहीं है बात इसके आगे के एंट्रेंस एग्जाम की भी है, अगला सेमेस्टर शुरू होने की भी है कॉलेज और यूनिवर्सिटी की भी है इसलिए हमने कहा है कि एक ही समाधान है कि हम बच्चों का टीकाकरण करवाएं

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डेढ़ करोड़ बच्चे 12वीं में हैं. आज देश में वैक्सीन उपलब्ध है जो युवाओं के लिए कारगर बताई जा रही है और विदेशों में भी वैक्सीन उपलब्ध है जो 12 से 18 साल के बच्चों के लिए कारगर घोषित हो चुकी है.

केंद्र सरकार से निवेदन है कि डेढ़ करोड़ बच्चों के लिए और स्कूल के सारे टीचर्स के लिए, लगभग डेढ़ करोड़ टीचर हैं और डेढ़ करोड़ ही बच्चे हैं तो कुल 3 करोड़ वैक्सीन लेकर आए जो बच्चों को लगवाई जा सके.

PFIZER ऐसी वैक्सीन है जिसे हमने भी संपर्क किया था तो उन्होंने कहा हमारे पास डोज़ तो हैं लेकिन हम केंद्र सरकार से बात कर रहे हैं. केंद्र सरकार यह जिम्मेदारी निभाएं की PFIZER से बात करके देश के डेढ़ करोड़ बच्चों के लिए वैक्सीन लेकर आएं और उनको लगवाएं.

केंद्र सरकार के सामने हमने ही प्रस्ताव रखा है कि 12वीं के कुल बच्चों में से 20 से 25 फ़ीसदी 18 साल के हो चुके हैं. करीब 70% बच्चे ऐसे हैं जो 17-18 साल के बीच को हैं. यानी लगभग 95% बच्चे 17-18 साल की उम्र के हैं.

देश में जो 18 साल के युवा के लिए वैक्सीन उपलब्ध है क्या वह वैक्सीन साढ़े 17 साल के युवा को लगाई जा सकती है? कारगर है? यह बात हेल्थ एक्सपर्ट या वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां से कर सकते हैं.

अगर 17.5 साल साल के बच्चों को वैक्सीन लगवाए जा सकती है तो हमको बाकी सारा टीकाकरण कार्यक्रम रोककर इन बच्चों को वैक्सीन लगवानी चाहिए. वैक्सीन स्कूलों को उपलब्ध करा दें वह आसपास के डॉक्टर और बाकी स्टाफ को लेकर वैक्सीन लगवा लेंगे

अगर हमको आज 17.5 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन मिल जाए (मंजूरी मिलने पर) तो हम 2 दिन में दिल्ली के 12वीं क्लास के सभी बच्चों को वैक्सीन लगवा देंगे.

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