केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रविवार को कहा कि बारहवीं कक्षा की बोर्ड की लंबित परीक्षा कराने के संबंध में राज्यों के बीच व्यापक सहमति है और इस बारे में जल्द सुविचारित एवं सामूहिक निर्णय एक जून तक लिया जाएगा. महाराष्ट्र ने उच्च स्तरीय बैठक में बोर्ड की 12वीं कक्षा की परीक्षा लेने से इतर कोई रास्ता तलाशने पर सुझाव दिया, जबकि दिल्ली और केरल ने परीक्षा से पहले छात्रों का टीकाकरण करने की बात कही.
वहीं, सूत्रों के अनुसार, सीबीएसई ने परीक्षा 15 जुलाई से 26 अगस्त के बीच कराने और परिणाम सितंबर में घोषित करने का प्रस्ताव किया. बोर्ड ने दो विकल्पों का प्रस्ताव किया, जिसमें अधिसूचित केंद्रों पर 19 प्रमुख विषयों की नियमित परीक्षा लेने या छात्रों के पंजीकरण वाले स्कूलों में लघु अवधि की परीक्षा लेने की बात कही गई. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकारों से 25 मई तक विस्तृत सुझाव भेजने का आग्रह किया.
वहीं, सूत्रों ने दावा किया कि ज्यादातर राज्य दूसरे विकल्प के पक्ष में है, जबकि कुछ राज्य इनके मिलेजुले स्वरूप की बात कह रहे हैं.
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण 14 अप्रैल को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थीं और 10वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा को रद्द कर दिया गया था. यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई बैठक में किया गया था. ये परीक्षाएं 4 मई से 14 जून के बीच होनी थीं.
इसी तरह, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) और अन्य राष्ट्रीय परीक्षा आयोजित करने वाले संस्थानों ने भी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अपनी प्रवेश परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में दो घंटे से अधिक समय तक डिजिटल माध्यम से हुई बैठक में निशंक के अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, प्रकाश जावड़ेकर, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे के अलावा राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्रियों व सचिवों ने भी हिस्सा लिया. बैठक के बाद निशंक ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री की संकल्पना के अनुरूप यह बैठक काफी सार्थक रही और उन्हें काफी मूल्यवान सुझाव प्राप्त हुए. उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने राज्य सरकारों से 25 मई तक विस्तृत सुझाव भेजने का आग्रह किया है.''
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा,‘‘ मुझे विश्वास है कि हम 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के संबंध में सुविचारित एवं सामूहिक निर्णय तक पहुंचेंगे और जल्द से जल्द हमारे अंतिम फैसले की जानकारी देकर छात्रों एवं अभिभावकों के मन की अनिश्चितता को समाप्त कर सकेंगे.''
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि छात्रों एवं शिक्षकों की सुरक्षा और उनका भविष्य हमारे लिये सबसे अधिक महत्वपूर्ण है.''
शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘ राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ हुए परामर्श के क्रम में भारत सरकार इस सप्ताह विभिन्न राज्य सरकारों से मिले सुझावों का परीक्षण करेगी और इस संबंध में 1 जून, 2021 या उससे पहले विद्यार्थियों को अग्रिम सूचना दी जाएगी.''
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी सुझावों पर विचार किया जायेगा और जल्द ही अंतिम फैसला लेगा. उन्होंने दोहराया सरकार की प्राथमिकता सुरक्षित माहौल में सभी परीक्षाओं का आयोजन करने की है.
सूत्रों के अनुसार, पहले विकल्प के तहत अधिसूचित केंद्रों पर 19 प्रमुख विषयों की नियमित परीक्षा लेने का प्रस्ताव किया गया है. इसके अलावा अन्य विषयों का मूल्यांकन प्रमुख विषयों के प्रदर्शन के आधार पर किया जायेगा. ऐसा तब होगा जब बोर्ड को स्पष्ट रूप से तीन महीने का समय उपलब्ध होगा. इसके लिये संभावित महीना अगस्त होगा और पूरी प्रक्रिया सितंबर तक पूरी हो सकती है.
सूत्र ने दूसरे विकल्प का जिक्र करते हुए कहा कि उपयुक्त स्थिति के आधार पर बोर्ड दो बार परीक्षा ले सकता है. अगर छात्र कोविड-19 की स्थिति के कारण पहली बार परीक्षा नहीं दे सकेंगे, तब उन्हें परीक्षा में बैठने का दूसरा मौका मिलेगा.
उन्होंने बताया कि परीक्षा तीन घंटे की बजाए 90 मिनट की होगी और इसमें तीन ऐच्छिक और एक भाषा के विषय होंगे. सूत्र ने बताया कि इस विकल्प के लिये पहले चरण की परीक्षा 15 जुलाई से एक अगस्त तथा दूसरे चरण की परीक्षा 8-26 अगस्त के बीच हो सकती है. ये परीक्षाएं रविवार को भी हो सकती हैं.
बहरहाल, शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, बैठक के दौरान हुआ विचार-विमर्श, दो विषयों - केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और अन्य राज्य बोर्डों द्वारा कक्षा 12 के लिए आयोजित होने वाली बोर्ड परीक्षाओं तथा विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों व व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षाओं के इर्द-गिर्द केंद्रित रहा.
परीक्षाओं का तरीका, प्रक्रिया, अवधि और समयसीमा से संबंधित विभिन्न विकल्पों पर चर्चा हुई. हालांकि, बोर्डों की सहमति के बावजूद यह फैसला लिया गया कि राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश आगे इस मामले पर विचार कर सकते हैं और 25 मई, 2021 तक लिखित में अपना फीडबैक भेज सकते हैं.
वहीं, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को कहा कि दिल्ली सरकार सीबीएसई द्वारा 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा कराने के लिए विकल्पों की तलाश किए जाने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का टीकाकरण कराए बिना 12वीं की बोर्ड परीक्षा कराना बड़ी भूल साबित होगी.
सिसोदिया ने कहा, ‘‘विद्यार्थियों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर परीक्षा कराना बड़ी भूल साबित होगी. पहले टीकाकरण और उसके बाद परीक्षा. पूरे देश में 12वीं कक्षा के 1.5 करोड़ विद्यार्थी हैं और उनमें से 95 प्रतिशत की उम्र 17.5 साल से अधिक है. केंद्र को विशेषज्ञों से बात करनी चाहिए कि क्या उन्हें कोविशील्ड या कोवैक्सीन की खुराक दी जा सकती है.''
सिसोदिया ने बताया कि उन्होंने लंबित 12वीं की बोर्ड परीक्षा और अन्य प्रवेश परीक्षाओं पर फैसला लेने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में यह बात कही. वहीं, तमिलनाडु सरकार ने प्रस्ताव दिया कि कोविड-19 की स्थिति सुधरने के बाद राज्य में परीक्षा करायी जा सकती है.
राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोयामोझी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘ अन्य राज्यों की तरह तमिलनाडु भी 12वीं बोर्ड परीक्षा आयोजित करना चाहता है, क्योंकि यह छात्रों के कैरियर को लेकर महत्वपूर्ण होता है.''
कर्नाटक के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने कहा कि छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए 12वीं कक्षा की परीक्षा आयोजित करना महत्वपूर्ण है.
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