IIT Factory Patwa Toli: बिहार के गया जिले में बुनकरों की बस्ती पटवा टोली एक बार फिर सुर्खियां में हैं. इस इलाके के 40 से ज्यादा छात्रों ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE Mains) मेन 2025 के सेकेंड फेज में सफलता प्राप्त की है. परीक्षा के नतीजे 19 अप्रैल को घोषित किए गए थे. ये सभी छात्र अब 18 मई को होने वाली जेईई एडवांस परीक्षा में शामिल होंगे. एक समय मेन्स रूप से अपने हथकरघा उद्योग के लिए जाना जाने वाला पटवा टोली अब इंजीनियरिंग के इच्छुक छात्रों का केंद्र बन गया है. पिछले 25 सालों में इस गांव ने दर्जनों आईआईटीयन दिए हैं और इसे अक्सर बिहार की "आईआईटी फैक्ट्री" के रूप में जाना जाता है.
सागर कुमार की कहानी कर देगी आपको भावुक
इस साल सफल उम्मीदवारों में सागर कुमार भी शामिल हैं, जिन्होंने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था. आर्थिक और भावनात्मक कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने वृक्षा नाम के एक एनजीओ की मदद से 94.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. इन छात्रों की उपलब्धियों ने उनके परिवारों को बहुत खुशी दी है और समुदाय को गौरवान्वित किया है. उनकी कहानियां सिर्फ अकादमिक सफलता के बारे में नहीं हैं, बल्कि विपरीत परिस्थितियों से उबरने के बारे में भी हैं.
आखिरी क्यों फेमस है पटवा टोली
पटवा टोली के बदलाव की यात्रा 1991 में शुरू हुई, जब जितेंद्र पटवा आईआईटी (IIT) में एंट्रेंस पाने वाले गांव के पहले छात्र बने. उनकी उपलब्धि से प्रेरित होकर कई अन्य लोगों ने भी उनकी राह पर चलना शुरू किया किया. ऐसा कहा जाता है कि पटवा टोली के लगभग हर घर में कम से कम एक इंजीनियर है.यह जगह इंजीनियरों के लिए काफी फेमस है. हर साल यहां से अच्छे खासे स्टूडेंट्स जेईई की परीक्षा में पास होते हैं. पूरे भारत में पटवा टोली आईआईटी फैक्ट्री के नाम से फेमस है.
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