जीवन में सफल वही व्यक्ति होता है, जो अपनी असफलता से सीखता है. जो व्यक्ति असफल होने पर हार मान जाते हैं, उन्हें देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) से सीखना चाहिए. आज उनकी पुण्यतिथि है. इसी मौके पर जानते हैं एपीजे अब्दुल कलाम के उस इंटरव्यू के बारे में जिनमें वह फेल हो गए थे. कलाम बाद में भारत में मिसाइल डेवलपमेंट कार्यक्रम के अगुवा बने और देश में पृथ्वी, अग्नि जैसी मिसाइलों के विकास में अहम योगदान दिया. बाद में वो देश के राष्ट्रपति भी बने.
एपीजे अब्दुल कलाम का देश के विकास में काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. आपको बता दें, एक बार कलाम भी एक इंटरव्यू में फेल हो गए थे. हालांकि इसके बाद उन्होंने हार नहीं मानी थी.पूर्व राष्ट्रपति के लिए एपीजे अब्दुल कलाम, एक फाइटर पायलट बनना चाहते थे, ये उनका सबसे प्रिय सपना था. लेकिन वह इसे साकार करने में असफल रहे
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार , “My Journey: Transforming Dreams into Actions” किताब में लिखा था कि मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (aeronautical engineering) में विशेषज्ञता प्राप्त कलाम का कहना है कि वह उड़ान में करियर बनाने के लिए बेताब थे. उन्होंने लिखा कि वह बचपन से प्लेन उड़ाना चाहते थे. ये उनका सबसे प्रिय सपना था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. वह SSB इंटरव्यू में नाकाम रहे थे, जिसकी वजह से उनकी एयरफोर्स में नौकरी नहीं लगी.
आपको बता दें, अब्दुल कलाम को दो इंटरव्यू कॉल आए. पहला इंडियन एयर फोर्स, देहरादून से और दूसरा मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस, दिल्ली से डायरेक्टोरेट ऑफ टेक्निकल डेवलपमेंट एंड प्रोडक्शन (DTDP) से आया था.
कलाम ने किताब में जिक्र किया, DTDP में इंटरव्यू "आसान" था, लेकिन एयरफोर्स सिलेक्शन बोर्ड के लिए इंजीनियरिंग ज्ञान के साथ, वे उम्मीदवार में एक खास तरह की "स्मार्टनेस" की भी तलाश कर रहे थे. एयरफोर्स के इंटरव्यू में कलाम ने 25 उम्मीदवारों में से नौवां स्थान हासिल किया था लेकिन उन्हें भर्ती नहीं किया गया क्योंकि उस समय केवल आठ सीटें उपलब्ध थी. जिसकी वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिली. इस दौरान 25 लोगों ने इंटरव्यू में भाग लिया था और फेल होने के बाद वो काफी निराश हुए थे.
उन्होंने किताब में लिखा, "मैं एक एयरफोर्स पायलट बनने के अपने सपने को साकार करने में विफल रहा." उन्होंने आगे लिखा, ' यह केवल तभी है जब हम असफलता का सामना कर रहे हैं, हमें एहसास है कि ये संसाधन हमारे भीतर हमेशा थे. हमें केवल उन्हें खोजने और अपने जीवन के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है, कलाम कहते हैं, उन्होंने DTDP में साइंटिफिक असिस्टेंट के पद पर काम करते हुए 'दिल और आत्मा' लगा दी.
147 पेज की इस किताब में कलाम ने अपने बचपन के बारे में भी लिखा है. जिसमें उन्होंने अपने पिता को नाव बनाते देखने के अपने अनुभव के बारे में लिखा है. साथ उन्होंने लिखा कैसे उन्होंने अखबार बेचने का काम बचपन में शुरू किया था.
किताब में कलाम लिखते हैं कि उनके जीवन. संघर्ष, अधिक संघर्ष, कड़वे आंसू और फिर मीठे आंसू से भरा हुआ है. अंत में जीवन उतना ही सुंदर है, जैसे पूर्णिमा के दिन चांद निकलता है.