जब बॉलीवुड के खतरनाक विलेन से रतन टाटा ने मांगा था वक्त, एक मुलाकात के बाद मोगैंबो के दोस्त बन गए थे बिजनेसमैन

जब एक्टर ने अपनी बिजी शेट्यूल से खास तौर पर रतन टाटा के लिए समय निकाला और उनकी ड्रीम कार प्रोजेक्ट इंडिका को लॉन्च को करवाने में मदद की.

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इंडिका कार लॉन्च के लिए जब अमरीश पुरी ने निकाला था खास तौर पर समय
नई दिल्ली:

देश के मशहूर बिजनेसमैन और अपने अच्छे कामों के दुनियाभर के दिल जीतने वाले रतन टाटा का रिश्ता फिल्मी सितारों के साथ भी काफी अच्छा. हर कोई न केवल उनकी तारीफ करता था, बल्कि फिल्मी सितारे रतन टाटा के लिए हमेशा से वक्त निकालकर मिलाकर करते थे. ऐसा ही एक किस्सा हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर अमरीश पुरी से जुड़ा हुआ है. जब एक्टर ने अपनी बिजी शेट्यूल से खास तौर पर रतन टाटा के लिए समय निकाला और उनकी ड्रीम कार प्रोजेक्ट इंडिका को लॉन्च को करवाने में मदद की. 

इस किस्से को अमरीश पुरी के पोते वर्धन पुरी ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है. उन्होंने दादा अमरीश पुरा और बिजनेसमैन रतन टाटा की एक पुरानी तस्वीर शेयर की है. इस तस्वीर के साथ उन्होंने खास पोस्ट शेयर कर रतन टाटा को आखिरी श्रद्धांजलि दी है. वर्धन पुरी ने लिखा, 'क्रिसमस के आसपास, 1998. "मैं भारत की पहली स्वदेशी कार लॉन्च कर रहा हूं. क्या आप मेरे साथ महीने की 30 तारीख को टाटा इंडिका लॉन्च करने की कृपा करेंगे, जो नए साल की पूर्व संध्या से एक दिन पहले है?" स्वर्गीय श्री रतन टाटा ने मेरे दिवंगत दादा श्री अमरीश पुरी से एक शुक्रवार की दोपहर को फोन पर पूछा. 

वर्धन पुरी ने आगे लिखा, 'मेरे दादा उस समय डबल शिफ्ट में शूटिंग करने की वजह से काफी बिजी थे, और अपने सेट पर बहुत लंबे समय तक काम करते थे. लेकिन उन्होंने रतन टाटा से कहा, "एक सच्चे दूरदर्शी के लिए कुछ भी. मैं वहां जरूर रहूंगा,". उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद वादा किया. 30 दिसंबर को दादू ने हमेशा की तरह ही सुंदर रियल लाइफ के हीरो श्री रतन नवल टाटा के साथ टाटा इंडिका लॉन्च की. रतन टाटा दादू के इस भाव से अभिभूत हो गए और यह कार्यक्रम एक बड़ी सफलता बन गया. जब कार्यक्रम खत्म हुआ, तो रतन टाटा और दादू जो तब तक एक-दूसरे को सामाजिक रूप से जानते थे, ने दिल से दिल की बात की और एक बंधन बना लिया. वे अच्छे दोस्त बन गए और उनकी दोस्ती दादू के जीवित रहने तक बनी रही. मेरे दादा के निधन पर रतन टाटा ने मेरे पिता राजीव पुरी को जो आश्वस्त करने वाला पत्र लिखा, उससे हम सभी भावुक हो गए. शांति से विश्राम करें, श्री रतन टाटा साहब! सभी जीवित प्राणियों, विशेषकर मूक-बधिरों के लिए आपके अनगिनत योगदानों के लिए यह दुनिया हमेशा आपकी ऋणी रहेगी.'

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