'हमें सिनेमा की इज्जत करनी चाहिए'- फिल्मों के बॉयकाट चलन पर बोले गीतकार जावेद अख्तर

हाल ही में मशहूर गीतकार, शायर और संवाद लेखक जावेद अख्तर ने एनडीटीवी से बात की. इस दौरान लेखक ने इन दिनों फिल्मों को लेकर चल रहे बॉयकाट चलन पर भी अपनी राय रखी.

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नई दिल्ली:

हाल ही में मशहूर गीतकार, शायर और संवाद लेखक जावेद अख्तर ने एनडीटीवी से बात की. इस दौरान लेखक ने इन दिनों फिल्मों को लेकर चल रहे बॉयकाट चलन पर भी अपनी राय रखी. जावेद अख्तर ने कहा कि आजकल फिल्मों को बॉयकाट करने का मानो चलन सा हो गया है. फिल्म के बॉयकाट चलन पर बात करते हुए जावेद अख्तर ने कहा, "फिल्मों के बॉयकाट का चलन हो गया है. हमारा फिल्म सर्टिफिकेशन का ऑर्गनाइजेशन है, यह सरकारी है जो फिल्म को देखता है. उसमें बताते हैं कि यह गलत है, इसको हटा दीजिए. इस ऑर्गनाइजेशन को हम सेंसर बोर्ड कहते हैं. सरकार को अपने इंस्टीट्यूशन की इज्जत रखनी चाहिए. बाहर के लोग तय करें कि कौन सी फिल्म चलनी चाहिए, कौन सी नहीं, तो सर्टिफिकेशन की ज़रूरत क्या है?". 

जावेद अख्तर ने कहा कि फिल्मों को बचाए रखना स्टेट की जिम्मेदारी है. सरकार के दिए सर्टिफिकेट की इज्जत करनी चाहिए. वे कहते हैं, "मैंने भी टीवी पर ऐसी चीजें देखी हैं. यह तरीका ठीक नहीं है. अगर गड़बड़ है तो काटने का काम सेंसर बोर्ड का होता है". वे आगे कहते हैं, "जो लोग हिंदू मुसलमान देख रहे हैं, देखने दें, लेकिन यह सही नहीं है. हमें सिनेमा की इज्जत करनी चाहिए. दुनिया में हॉलीवुड के टक्कर में भारतीय सिनेमा है. दुनिया के लोग भारत के एक्टरों का नाम जानते हैं. यह गुडविल पूरी दुनिया में है. बॉलीवुड नहीं बंट रहा है, सब ठीक है". 

इस इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने अपने ऊपर लिखी किताब 'जादुनामा' पर भी बात की. यह किताब अरविंद मंडलोई ने लिखी है. जावेद अख्तर ने इस किताब के बारे में बात करते हुए कहा, "जादू' अभी भी लोग मुझे बुलाते हैं. 15 दिन पहले मैंने किताब देखी. देखकर मैं हैरान हो गया. इसमें बातें बहुत पुरानी हैं. कई लोगों को कवर किया है. मैंने कई तस्वीरें पहली बार इस किताब में देखीं. किताब में बहुत अच्छा काम किया है". 

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