दक्षिण भारतीय सिनेमा की एक खास बात ये रही है कि यहां के अभिनेताओं को महज एक कलाकार के तौर पर नहीं देखा जाता, ये दर्शकों के दिलों में इस कदर उतर जाते हैं कि लोग उनकी पूजा तक करने लगते हैं. साउथ के ऐसे कई सुपर स्टार्स हुए जिनका मंदिर बना कर उन्हें पूजा गया. हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि इनमें से कई बड़े सितारों ने कभी बॉलीवुड की फिल्में करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई, ये साउथ की फिल्मों तक सीमित रहे और यहीं से दुनियाभर में मशहूर हुए. ऐसे ही कुछ खास और अमर कलाकारों की बातें आज हम यहां कर रहे हैं.
एमजीआर
एमजीआर, इस नाम से हर कोई परिचित है. मारुदुर गोपालन रामचन्द्रन उर्फ़ 'एमजीआर' साउथ के मशहूर सुपरस्टार थे, जिन्होंने बाद में राजनीति में भी कदम रखा और साल 1977 से लेकर 1987 तक तमिलनाडु में चीफ मिनिस्टर रहे. उनका जन्म 17 जनवरी 1917 को नवलपिट्टिया, कैंडी सेलन में हुआ था. 1950 में आई फिल्म 'मंथिरी कुमारी' उनकी पहली सफल फिल्म थी. 1987 में आई फिल्म 'उल्लाग सुथि पारू' के साथ उनका एक्टिंग करियर खत्म हुआ. एमजीआर ने तीन शादियां की थीं, पहली दो बीवियों के निधन के बाद उन्होंने तीसरी शादी जानकी रामचंद्रन से की. उनके द्वारा स्थापित पार्टी का नेतृत्व बाद में जे. जयललिता ने किया और वो भी तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं.
एन.टी. रामा राव
बेहतरीन अभिनय प्रतिभा के धनी एन.टी. रामा राव यानी नंदामुरी तारक रामा राव न ही केवल एक सफल और बेहद पॉपुलर अभिनेता थे बल्कि एक बेहद प्रतिष्ठित और लोकप्रिय राजनेता भी थे. 1983 में वे पहली बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए. 1949 में आई फिल्म 'मना देसम' में पुलिस इंस्पेक्टर का रोल निभाते हुए एन.टी. रामा राव ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. इसके बाद वह इंग्लिश ड्रामा पिजारो पर आधारित फिल्म 'पल्लेतुरी पिल्ला' में दिखाई दिए, ये फिल्म बहुत बड़ी हिट रही. उन्होंने करीब 320 फिल्मों में एक्टिंग की थी. पौराणिक फिल्मों में वे भगवान राम, कृष्ण, भीष्म आदि के किरदार में नजर आए. इन्हीं भूमिकाओं की बदौलत एनटीआर की लोकप्रियता अपने चरम पर पहुंच गई थी. उनके निधन के बाद उनकी विरासत को लेकर परिवार में खासा विवाद भी रहा. बाद में उनके दामाद चंद्राबाबू नायडू भी राज्य के मुख्यमंत्री बने. वर्तमान में उनके पौत्र जूनियर एनटीआर तेलगु फिल्मों के जाने-माने स्टार हैं.
डॉ रामकुमार
कन्नड़ सुपरस्टार डॉ राजकुमार भारतीय सिनेमा की दुनिया भर में पहचान बनाने वाले एक्टर्स में से एक रहे हैं. अपनी फिल्मों की वजह से उन्हें भारत के 'जेम्स बॉन्ड' की उपाधि भी दी गई थी. 24 अप्रैल 1929 को जन्में राजकुमार ने अपने फिल्मी करियर में कई ऐसी मिसाल कायम की है जो आज तक याद की जाती है. सिंगनल्लूर पुट्टस्वामैया मुथुराज उर्फ राजकुमार ने करीब 200 फिल्मों में काम किया था. एक्टर के साथ ही वो एक कमाल के सिंगर भी थे, उन्होंने अपने करियर में करीब 400 गाने गाए. उनकी पहली फिल्म 'बेडरा कनप्पा' 1954 में पर्दे पर आई थी. देश में जेम्स बॉन्ड जैसे जासूस का रोल करने वाले वह पहले भारतीय अभिनेता थे. डॉ राजकुमार को दादासाहेब फाल्के के अलावा पद्म भूषण, साउथ फिल्मफेयर अवॉर्ड, कर्नाटक स्टेट फिल्म अवार्ड भी मिला था. 2000 में उनकी आखिरी फिल्म 'शब्दवेधी' रिलीज आई थी. 77 साल की आयु में 12 अप्रैल 2006 को कार्डियक अरेस्ट से उनका निधन हो गया.
जयन
आज मोहनलाल और मामूट्टी मलयालम फिल्मों के सुपरस्टार हैं, लेकिन इनसे पहले मलयालम फिल्मों के सुपरस्टार जयन हुआ करते थे. उनका असली नाम कृष्णन नायर था. 1972 में उनकी पहली फिल्म पोस्टमाने कनमनिला रिलीज हुई. जयन ने सौ से अधिक मलयाली फिल्मों में काम किया था. जयन की मौत भी फिल्मी सेट पर ही हुई, 16 नवंबर 1980 को 41 साल की उम्र में एक एक्शन सीन की शूटिंग के दौरान हादसे का शिकार होने से उनकी मौत हो गई. दरअसल, जयन चेन्नई के पास शोलावर में कोलियाक्कम फिल्म का क्लाइमैक्स सीन शूट कर रहे थे, उस सीन के लिए उन्हें चलती हुई मोटरसाइकिल से हेलीकॉप्टर पर कूदकर चढ़ना था. पहले शॉट के ओके होने के बावजूद सीन में परफेक्शन लाने के लिए जयन ने री-टेक की जिद की, इसी जिद ने उनकी जान ले ली.
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