70 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री सुपरस्टार्स से भरी पड़ी थी. अमिताभ बच्चन के अलावा शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना, सुनील दत्त, राज बब्बर, धर्मेंद्र और जीतेंद्र जैसे कई एक्टर्स का जलवा देखने को मिलता था. हालांकि, इनमें से सिर्फ बिग बी ही महानायक तक का सफर तय कर पाए. तब के जमाने में बच्चन साहब की बराबरी कर पाना आसान नहीं था. हालांकि, ये सुपरस्टार उन्हें टक्कर दिया करते थे. इन सबके बीच एक एक्टर ऐसे भी थे, जिन्होंने विलेन बनकर अपनी पहचान बनाई और बाद में सुपरस्टार बन गए. बॉलीवुड के शहंशाह के आगे सिर्फ वही टिक पाते थे. यही कारण था कि उन्हें दूसरा सुपरस्टार भी कहा जाने लगा था. आइए जानते हैं इस एक्टर के बारे में...
विलेन बनकर शुरुआत, बने सुपरस्टार
ये एक्टर कोई और नहीं बल्कि विनोद खन्ना (Vinod Khanna) थे. 70 के दशक उनकी शुरुआत बतौर विलेन हुई थी. अपनी इसी भूमिका में उन्होंने दर्शकों का दिल जीता और लंबे समय तक धाक जमाए रखी. विनोद सिर्फ एक्टिंग ही नहीं बल्कि फिल्म प्रोडक्शन और राजनीति में भी एक्टिव रहे. एक समय ऐसा भी था, जब वो इंडस्ट्री के सबसे महंगे कलाकार बन गए थे. उनकी स्टाइल और फैशन का हर कोई दीवाना था.
विनोद खन्ना की फिल्में
विनोद खन्ना के फिल्मी करियर की शुरुआत अदुर्थी सुब्बा राव की फिल्म 'मन के मीत' से हुई थी. इस फिल्म में विनोद विलेन की भूमिका में नजर आए थे. इस फिल्म के बाद उन्हें निगेटिव रोल ऑफर होने लगे थे. 1971 में विनोद खन्ना ने धर्मेंद्र और आशा पारेख की सुपरहिट फिल्म 'मेरा गांव मेरा देश' में उनका काम काफी शानदार रहा. ये फिल्म उस जमाने की सबसे बड़ी हिट रही थी. फिल्म में धर्मेंद्र के रहने के बावजूद पूरी लाइमलाइट विनोद खन्ना ने लूट ली थी.
सबसे ज्यादा फीस लेने लगे थे विनोद खन्ना
विनोद खन्ना उस जमाने में मेकर्स की पसंद हुआ करते थे. उनका स्टारडम ऐसा हो गया था कि एक दिन शूटिंग हो या ज्यादा दिन, फीस 35 लाख रुपए ही चार्ज करते थे. साल 1976 में आई फिल्म 'हेरा फेरी' के लिए उन्होंने अमिताभ बच्चन से भी ज्यादा पैसे लिए थे. इस फिल्म में विनोद खन्ना को 2.5 लाख और अमिताभ बच्चन को सिर्फ 1.5 लाख रुपए मिले थे. बाद में उन्होंने कई हिट फिल्में दी. जब उनका करियर एकदम पिक पर था, तब उन्होंने फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली. बाद में दोबारा वापसी भी की लेकिन वो मुकाम नहीं हासिल कर पाए.