'पापा, आपके मुंह से बदबू आती है....' बेटी की बात सुनकर इस फिल्म स्टार ने छोड़ दी थी स्मोकिंग

इस फिल्म स्टार का ताल्लुक एक बड़े फिल्मी खानदान से रहा. इन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट करियर की शुरुआत की और बतौर हीरो अपनी डेब्यू फिल्म से ही रातों-रात जवां दिलों की धड़कन बन गए.

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नई दिल्ली:

बॉलीवुड में बहुत से सितारे आए और गए, लेकिन कुछ चेहरे ऐसे होते हैं, जो सिनेमा से कहीं आगे हमारे दिलों में बस जाते हैं. ऋषि कपूर उन्हीं सितारों में से एक थे. एक जमाना था, जब हर युवा उनके जैसा दिखना चाहता था और लड़कियां उनकी मुस्कान पर फिदा थीं. फिल्मों के परदे से बाहर ऋषि कपूर की जिंदगी भी आम इंसानों जैसी ही थी, जिसमें प्यार, रिश्तों की गर्माहट और कुछ बुरी आदतें शामिल थीं. 

उन्हीं आदतों में एक थी सिगरेट पीना. वो चेन स्मोकर थे, पर एक दिन, एक मासूम सी बात ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी. यह बात ऋषि कपूर के दिल को गहराई से लगी और उन्होंने उसी दिन सिगरेट को हमेशा के लिए छोड़ दिया.

ऋषि कपूर का जन्म 4 सितंबर 1952 को मुंबई के मशहूर कपूर खानदान में हुआ था. उनके पिता राज कपूर हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े नामों में से एक थे. फिल्मों का माहौल उन्हें बचपन से ही मिला. उन्होंने पहली बार पर्दे पर 1970 की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' में बाल कलाकार के रूप में काम किया और इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता. लेकिन, असली स्टारडम उन्हें 1973 में मिला, जब 'बॉबी' फिल्म आई. 21 साल के ऋषि ने एक कॉलेज बॉय का किरदार निभाया और पूरे देश में रोमांस के नए पोस्टर बॉय बन गए.

इसके बाद उन्होंने 'कर्ज', 'सरगम', 'प्रेम रोग', 'चांदनी', 'नगीना', 'नसीब', 'कुली', 'सागर' और 'अमर अकबर एंथोनी' जैसी कई हिट फिल्में दीं. 70 और 80 के दशक में वह सबसे व्यस्त और सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सितारों में शामिल थे. रोमांटिक हीरो की छवि से बाहर आकर भी उन्होंने कई किरदारों को निभाया. कभी वह खलनायक बने तो कभी कॉमेडियन. 'अग्निपथ', 'कपूर एंड सन्स', '102 नॉट आउट' जैसी फिल्मों में उन्होंने उम्र के साथ खुद को फिर से साबित किया.

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सिगरेट छोड़ने वाला किस्सा भी उनकी इसी शख्सियत को दिखाता है. वह सिर्फ बड़े पर्दे पर हीरो नहीं थे, अपने परिवार के लिए भी एक जिम्मेदार इंसान थे. उन्होंने इस बात को अपनी आत्मकथा 'खुल्लम खुल्ला' में भी बयां किया है, जिसे मीना अय्यर ने लिखा और हार्पर कॉलिन्स ने प्रकाशित किया. इसमें ऋषि कपूर ने अपने करियर से लेकर निजी जिंदगी तक के कई अनकहे पहलुओं पर खुलकर बात की.

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किताब के जरिए ऋषि कपूर ने बताया, "मैं बहुत ज्यादा स्मोकिंग करता था, लेकिन मैंने तब सिगरेट छोड़ दी, जब उसने (बेटी ने) कहा, 'मुझसे आपको सुबह-सुबह किस नहीं होगा, क्योंकि आपके मुंह से बदबू आती है.' उस दिन के बाद से मैंने सिगरेट को हाथ नहीं लगाया.''

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बता दें कि रिद्धिमा ऋषि की पहली संतान हैं. 1980 में उनका जन्म हुआ था. 'खुल्लम खुल्ला' में ऋषि ने बताया कि जब रिद्धिमा का जन्म हुआ तो वह और नीतू खुशी के चलते सातवें आसमान पर थे. बाद में रणबीर का जन्म हुआ और उनकी फैमिली पूरी हो गई.

पिता के तौर पर ऋषि कपूर अपने बेटे रणबीर कपूर से थोड़े सख्त थे. उन्होंने खुद माना कि वह दोस्त जैसे पिता नहीं बन पाए. इस बात को भी उन्होंने दिल से स्वीकार किया और कहा कि रणबीर अपने बच्चों के साथ जरूर अलग तरीके से पेश आएगा.

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दमदार एक्टिंग के लिए ऋषि कपूर को कई अवॉर्ड मिले. उन्हें 'बॉबी' के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला, 'दो दूनी चार' के लिए क्रिटिक्स अवॉर्ड और 'कपूर एंड सन्स' के लिए बेस्ट को-स्टार का अवॉर्ड मिला. उन्होंने अपने करियर में 150 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और हर भूमिका को बखूबी निभाया.

2018 में उन्हें कैंसर का पता चला और इलाज के लिए वह न्यूयॉर्क चले गए. लगभग एक साल इलाज के बाद जब वे भारत लौटे तो एक बार फिर फिल्मों में काम करने लगे. लेकिन, बीमारी ने उन्हें ज्यादा समय नहीं दिया. 30 अप्रैल 2020 को ऋषि कपूर ने दुनिया को अलविदा कह दिया.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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