कभी जेब खर्च के लिए मिस इंडिया गर्लफ्रेंड से पैसे उधार लेता था ये एक्टर, आ चुका है 200 से ज्यादा फिल्मों में नजर

आज हम आपको बॉलीवुड के एक ऐसे ही एक्टर के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी और मुश्किलों के बावजूद फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े सितारों में से एक बन गए.

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कभी जेब खर्च के लिए मिस इंडिया गर्लफ्रेंड से पैसे उधार लेता था ये एक्टर
नई दिल्ली:

बॉलीवुड के कई कलाकारों की किस्मत लंबे समय से संघर्ष करने के बाद चमकी है. इन कलाकारों ने फिल्मी इंडस्ट्री में कदम रखने से पहले और बाद में काफी संघर्ष किया है. हालांकि मेहनत का फल मीठा होता है, यही वजह है कि संघर्ष करने वाले कई कलाकार आज के समय में फिल्म इंडस्ट्री का मशहूर चेहरा बने हुए हैं. आज हम आपको बॉलीवुड के एक ऐसे ही एक्टर के बारे में बताने वाले हैं, जिन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी और मुश्किलों के बावजूद फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े सितारों में से एक बन गए. हम बात कर रहे हैं दिग्गज एक्टर परेश रावल की.

राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले परेश रावल ने 240 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. 2014 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया. उन्हें भारत के सबसे प्रतिभाशाली कलाकारों में गिना जाता है, लेकिन उनका स्टारडम का सफर आसान नहीं था. परेश रावल का जन्म 30 मई 1955 को मुंबई (तब बॉम्बे) में एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में हुआ. उन्होंने विले पार्ले के नरसी मॉन्जी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की. कॉलेज खत्म करने के बाद वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना चाहते थे.

'द अनुपम खेर शो' में परेश ने बताया कि उनके परिवार में पॉकेट मनी का चलन नहीं था. इसलिए, उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा में नौकरी शुरू की. लेकिन डेढ़ महीने बाद उन्हें यह काम अपने लिए सही नहीं लगा और उन्होंने नौकरी छोड़ दी. उस दौरान अपनी जिंदगी चलाने के लिए उन्होंने अपनी गर्लफ्रेंड स्वरूप संपत से पैसे उधार लिए. स्वरूप एक अभिनेत्री थीं और 1979 में मिस इंडिया का खिताब जीत चुकी थीं. बाद में 1987 में परेश और स्वरूप ने शादी कर ली. उनके दो बेटे हैं, आदित्य और अनिरुद्ध.

परेश ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1982 में गुजराती फिल्म नसीब नी बलिहारी से की. हिंदी सिनेमा में उनकी पहली फिल्म थी होली (1984), जिसे मीरा नायर ने डायरेक्ट किया था और इसमें आमिर खान भी थे. 1985 में सनी देओल की फिल्म अर्जुन से उन्हें पहचान मिली. अगले साल, 1986 में नाम में संजय दत्त के साथ खलनायक की भूमिका ने उन्हें एक अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया.
 

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