Yeh Mera Prem Patra Padhkar: प्यार की पहली धड़कन, पहला खुमार और पहला एहसास…इसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है. इंसान चाहे जितना भी हिम्मत जुटाए, लेकिन दिल की बात जुबां तक लाना आसान नहीं होता. ऐसे में सहारा बनता है प्रेम पत्र, जिसे लिखते वक्त हाथ कांपते हैं, दिल तेजी से धड़कता है और दिमाग में बस यही ख्याल आता है कि सामने वाला नाराज न हो जाए. हिंदी सिनेमा ने ऐसे कई इश्क और इजहार को परदे पर उतारा है, लेकिन एक गीत ऐसा है जो असल जिंदगी के लव लेटर से प्रेरित होकर अमर हो गया और ये गाना है 'ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर'.
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हसरत जयपुरी और उनके पहले प्यार की दास्तान
इस गीत की कहानी गीतकार हसरत जयपुरी (Hasrat Jaipuri) की जिंदगी से जुड़ी है. उनका असली नाम इकबाल हुसैन था और वे जयपुर के रहने वाले थे. पढ़ाई-लिखाई के दिनों में उनके पड़ोस में रहने वाली राधा नाम की लड़की से उन्हें पहला प्यार हुआ. हसरत अपने जज्बात जुबां पर नहीं ला पाए, तो उन्होंने राधा के लिए एक कविता लिखी. उसी कविता की शुरुआती लाइन थी- 'ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर के तुम नाराज न होना, कि तुम मेरी जिंदगी हो'.
कैसे बना गाना?
मुंबई में संघर्ष करते हुए हसरत बस कंडक्टर की नौकरी करने लगे. लेकिन शेर-ओ-शायरी उनका असली शौक था. एक मुशायरे में उनकी मुलाकात पृथ्वीराज कपूर से हुई, जिन्होंने बेटे राज कपूर से उनकी सिफारिश की. जब 'संगम (Sangam Movie 1964)' फिल्म बन रही थी और राज कपूर को एक रोमांटिक गीत की तलाश थी, तब हसरत ने झिझकते हुए यह कविता उन्हें सुनाई.
राज कपूर ने तुरंत कहा- 'बस यही चाहिए, इसे गाना बना डालो'. इसके बाद शंकर-जयकिशन ने इसका संगीत तैयार किया. मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर की आवाज ने इसे अमर बना दिया. स्क्रीन पर राजेंद्र कुमार और वैजयंती माला की जोड़ी ने इस गीत को जीवन्त कर दिया.
इत्तेफाक जिसने गाने को और खास बना दिया
दिलचस्प बात यह है कि जिस तरह हसरत की जिंदगी में उनकी प्रेमिका का नाम राधा था, ठीक उसी तरह 'संगम' में वैजयंती माला का किरदार भी राधा था. शायद यही वजह थी कि हसरत के लिखे शब्दों में इतना सच्चापन और गहराई झलकती है.
हसरत जयपुरी का सफर (Hasrat Jaipuri Career)
1922 में जन्मे इकबाल हुसैन यानी हसरत जयपुरी, एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे. उर्दू और फ़ारसी की तालीम उन्हें अपने नाना से मिली थी. कविता और शायरी उनके खून में थी. फिल्मों में कदम रखने के बाद वे राज कपूर के बेहद करीबी बन गए. दोनों ने लगभग 22 साल साथ काम किया और हिंदी सिनेमा को कई बेमिसाल नगमे दिए. अपने करियर में हसरत जयपुरी ने सैकड़ों गाने लिखे. उन्हें दो बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला- 1966 में ‘बहारों फूल बरसाओ' और 1971 में ‘जिंदगी एक सफर है सुहाना' के लिए. उनकी कलम से निकले शब्द आज भी हर आशिक की जुबान पर जिंदा हैं.
अमर हो गया गाना
1999 में हसरत जयपुरी का इंतकाल हो गया, लेकिन ‘ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर' जैसा गीत उन्हें हमेशा जिंदा रखे हुए है. 61 साल बाद भी जब यह गाना बजता है, तो हर शख्स अपने पहले प्यार, अपनी पहली धड़कन और उस मासूम एहसास को याद कर लेता है. यही है उस गीत का जादू, जो एक साधारण लड़के के दिल से निकले पहले लव लेटर से शुरू हुआ और करोड़ों दिलों की धड़कन बन गया.