करण जौहर और अक्षय कुमार के शो पर उठा जेंडर इक्वलिटी का सवाल

अक्सर समाज में जेंडर समानता को लेकर बहस छिड़ी रहती है और सिनेमा जगत में महिला कलाकारों और पुरुष कलाकारों के मेहनताने में फर्क को लेकर भी सवाल उठते रहते हैं, और इस सवाल से फैशन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमता रियलिटी शो पिच टू गेट रिच भी नहीं बच पाया.

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करण जौहर और अक्षय कुमार के शो पर उठा जेंडर इक्वलिटी का सवाल
नई दिल्ली:

अक्सर समाज में जेंडर समानता को लेकर बहस छिड़ी रहती है और सिनेमा जगत में महिला कलाकारों और पुरुष कलाकारों के मेहनताने में फर्क को लेकर भी सवाल उठते रहते हैं, और इस सवाल से फैशन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमता रियलिटी शो पिच टू गेट रिच भी नहीं बच पाया. मुंबई में हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब पत्रकारों ने सवाल उठाया कि इस फैशन रियलिटी शो में महिलाओं की भागीदारी क्यों कम दिखाई देती है, तो मलाइका अरोड़ा ने सीधे और स्पष्ट जवाब दिया. उन्होंने कहा, “आप जानते हैं, इस सवाल को केवल जेंडर तक सीमित नहीं करना चाहिए. दरअसल, मेरा एक ऑनलाइन स्टार्टअप है, और यह पूरी तरह महिला नेतृत्व वाला है. ‘द लेबल लाइफ' महिलाओं के लिए, महिलाओं द्वारा, महिलाओं के नेतृत्व में है. मैं गर्व महसूस करती हूं कि मैं ऐसे स्टार्टअप का हिस्सा हूं जो सभी क्षेत्रों की महिलाओं को आगे बढ़ाने में मदद करता है.”

मलाइका अरोड़ा ने यह भी बताया कि फैशन और व्यवसाय में महिलाओं के लिए मौके लगातार बढ़ रहे हैं और उनका स्टार्टअप इसका एक अच्छा उदाहरण है. करण जौहर ने भी इस विषय पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा, “जी बिल्कुल नहीं. वास्तव में, मैं आपको कई फैशन स्टार्टअप और ब्रांड्स के उदाहरण दे सकता हूं, जो महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं और महिलाओं के लिए हैं. अगर आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो सबसे प्रभावशाली महिलाएं फैशन और सौंदर्य उद्योग में हैं. और हमारे देश में भी यह प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है.”

करण ने जोर देकर कहा कि यह अब जेंडर का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह प्रतिभा और दूरदर्शिता का क्षेत्र है. उनका मानना है कि जिसके पास दूरदर्शिता और प्रतिभा होगी, वह फैशन या कोई भी व्यवसाय सफल कर सकता है. उन्होंने कहा, “गैप हर जगह मिलेगा, कभी महिलाएं पुरुषों से भी ज्यादा कर रही हैं. अगर आपका नजरिया केवल कमी ढूंढने का है, तो आप कहीं भी खोट पाएंगे.”

फ़िल्म जगत में बरसों से जेंडर समानता को लेकर आवाज़ें उठती रहीं हैं, पर पिछले कुछ सालों में इस क्षेत्र में सुधार भी आया है. हाल ही में लेखक और गीतकार जावेद अख़्तर ने भी कहा कि पहले सेट पर सिर्फ़ हेयर और मेकअप के लिए महिलाएं होती थीं, पर अब निर्देशक, लेखक, गीतकार और फ़िल्म मेकिंग के बाक़ी क्षेत्रों में भी महिलाओं का योगदान बढ़ा है. फैशन जगत भी इसमें पीछे नहीं है.

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