सामंथा रूथ प्रभु बनीं यूएन वीमेन इंडिया की सहयोगी, ऑनलाइन हिंसा के खिलाफ उठाई आवाज

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ती डिजिटल हिंसा पर रोक लगाने के लिए यूएन वीमेन इंडिया ने लोकप्रिय अभिनेत्री सामंथा रूथ प्रभु को अपने अभियान ‘16 डेज ऑफ़ एक्टिविज़्म’ के लिए सहयोगी बनाया है.

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सामंथा रूथ प्रभु बनीं यूएन वीमेन इंडिया की सहयोगी
नई दिल्ली:

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ती डिजिटल हिंसा पर रोक लगाने के लिए यूएन वीमेन इंडिया ने लोकप्रिय अभिनेत्री सामंथा रूथ प्रभु को अपने अभियान ‘16 डेज ऑफ़ एक्टिविज़्म' के लिए सहयोगी बनाया है. यह वैश्विक अभियान 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक चलेगा. इस साल की थीम है, “सभी महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ डिजिटल हिंसा को समाप्त करें” सामंथा, जो तमिल-तेलुगू सिनेमा की मशहूर कलाकार हैं और हिंदी वेब सीरीज ‘द फैमिली मैन' से राष्ट्रीय पहचान बना चुकी हैं, सामाजिक माध्यमों पर 3.7 करोड़ से ज़्यादा लोगों तक पहुँच रखती हैं. अपने वीडियो संदेश में उन्होंने बताया कि इंटरनेट पर महिलाओं के लिए खतरे कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं ट्रोलिंग, पीछा करना, निजी जानकारी उजागर करना, फर्जी वीडियो (डीपफेक), और बदली हुई तस्वीरें आज आम बात हो चली हैं.

सामंथा ने कहा, “मैंने खुद महसूस किया है कि डिजिटल हिंसा कैसे आत्मविश्वास और जीवन को तोड़ कर रख सकती है. हिंसा अब सिर्फ सड़कों पर नहीं होती, यह हमारी स्क्रीन पर भी हमारे पीछे आती है. हमें मिलकर आवाज़ उठानी होगी क्योंकि हर अपमानजनक टिप्पणी या बदली गई तस्वीर के पीछे एक असली इंसान की गरिमा जुड़ी होती है.”

डिजिटल हिंसा: एक वैश्विक संकट
    •    दुनिया में हर तीन में से एक महिला किसी न किसी रूप में हिंसा झेलती है
    •    38 प्रतिशत महिलाएँ ऑनलाइन हिंसा का सामना कर चुकी हैं
    •    85 प्रतिशत ने इसे होते देखा है
    •    एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 76 प्रतिशत महिला सांसदों को इंटरनेट पर मानसिक प्रताड़ना मिलती है
    •    60 प्रतिशत को सीधे धमकियां दी जाती हैं

भारत में भी हालात गंभीर हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों में पिछले वर्षों में दोगुनी बढ़ोतरी दर्ज की गई है खासकर ऑनलाइन उत्पीड़न और बिना अनुमति निजी तस्वीरें साझा करने के मामलों में. यूएन वीमेन का कहना है कि डिजिटल सुरक्षा को लैंगिक समानता की अनिवार्य शर्त माना जाना चाहिए.

अभियान की मुख्य मांगें

इस पहल के माध्यम से सामंथा यह संदेश फैलाएंगी कि ऑनलाइन हिंसा भी वास्तविक हिंसा है. अभियान की प्रमुख अपीलें:
    •    डिजिटल हिंसा को कानूनी तौर पर गंभीर अपराध घोषित किया जाए
    •    प्रौद्योगिकी कंपनियां अपने मंचों की सुरक्षा सुनिश्चित करें
    •    अपराधियों के खिलाफ तुरंत और सख़्त कार्रवाई हो
    •    पीड़िताओं को समर्थन, गोपनीयता और गरिमा मिले

भारत ने हाल ही में सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में बदलाव करते हुए सामाजिक माध्यम मंचों की जवाबदेही बढ़ाई है, ताकि आपत्तिजनक सामग्री पर तुरंत रोक लगे और पीड़ित महिलाओं की पहचान व सम्मान सुरक्षित रहे. यूएन वीमेन इंडिया की देश प्रतिनिधि (कार्यवाहक) कांता सिंह ने कहा, “सामंथा की आवाज़ इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से उठाएगी. डिजिटल हिंसा कोई अलग समस्या नहीं, यह भेदभाव और असमानता की बड़ी तस्वीर का हिस्सा है.”

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‘16 डेज ऑफ एक्टिविज़्म' क्या है?

1991 से चल रहा यह वैश्विक अभियान 25 नवंबर (महिलाओं के खिलाफ हिंसा समाप्ति दिवस) से 10 दिसंबर (मानवाधिकार दिवस) तक मनाया जाता है और सरकारों, समुदायों और नागरिकों को हिंसा रोकने के लिए एकजुट करता है. सामंथा रूथ प्रभु न सिर्फ पर्दे पर दमदार भूमिकाएं निभाती हैं, बल्कि वास्तविक जीवन में भी महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की प्रखर आवाज़ हैं. उनकी यह साझेदारी इस सशक्त संदेश को आगे बढ़ाती है, ऑनलाइन हिंसा वास्तविक हिंसा है… और अब इसे किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

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