आजकल बॉलीवुड में स्टार किड्स जैसे आलिया भट्ट, रणबीर कपूर, जाह्नवी कपूर और वरुण धवन का बोलबाला है. लेकिन कुछ ऐसे सुपरस्टार माता-पिता भी हैं, जिन्होंने अपने जमाने में शानदार फिल्में दीं, पर उनके बच्चे फिल्मी दुनिया में कोई खास कमाल नहीं कर पाए. हम बात कर रहे हैं 80-90 के दशक के मशहूर अभिनेता और उनकी अभिनेत्री पत्नी की, जिन्होंने 'निकाह', 'इंसाफ का तराजू', 'प्रेम गीत', 'घायल', 'समंदर', 'खानदानी', 'जय हो' जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया. लेकिन उनके बच्चों का करियर उनके जैसा चमकदार नहीं रहा. आइए, जानते हैं ये सुपरस्टार कौन हैं और उनके बच्चे क्या कर रहे हैं.
राज बब्बर और नादिरा बब्बर: बॉलीवुड के दिग्गज
राज बब्बर और नादिरा बब्बर अपने समय के बेहतरीन कलाकार रहे हैं. राज बब्बर ने हीरो, विलेन से लेकर माता-पिता तक के किरदार निभाकर दर्शकों का दिल जीता. वहीं, नादिरा बब्बर ने भी कई फिल्मों में अपनी शानदार एक्टिंग से नाम कमाया. दोनों ने 1975 में शादी की और उनके दो बच्चे हुए - जूही बब्बर और आर्य बब्बर. हालांकि, 1983 में दोनों का तलाक हो गया. इसके बाद राज बब्बर ने 1986 में मशहूर अभिनेत्री स्मिता पाटिल से शादी की, जिनसे उनका एक बेटा प्रतीक बब्बर हुआ.
जूही बब्बर: फिल्मों में नहीं चली जादू
राज बब्बर और नादिरा बब्बर की बेटी जूही बब्बर ने बॉलीवुड और टीवी में काम किया. वह 'रिफ्लेक्शन', 'अय्यारी', 'फराज', 'काश आप हमारे होते' जैसी फिल्मों में छोटे किरदारों में नजर आईं, लेकिन उनका करियर ज्यादा सफल नहीं रहा. जूही को दर्शकों से उतनी वाहवाही नहीं मिली, जितनी उनके माता-पिता को मिली थी.
आर्य बब्बर: कोशिश की, पर कामयाबी नहीं
राज बब्बर के बेटे आर्य बब्बर ने भी बॉलीवुड में कदम रखा. वह 'अब के बरस', 'जट्स इन गोलमाल', 'नॉटी जाट', 'पापी एक सत्य कथा' जैसी फिल्मों में दिखे, लेकिन उनकी फिल्में और एक्टिंग ज्यादा असर नहीं छोड़ पाई. आर्य 'बिग बॉस 8' में भी हिस्सा ले चुके हैं, पर वह अपने माता-पिता जैसी शोहरत हासिल नहीं कर पाए.
प्रतीक बब्बर: कुछ हद तक मिली पहचान
राज बब्बर और स्मिता पाटिल के बेटे प्रतीक बब्बर ने बॉलीवुड में कई फिल्मों में काम किया और कुछ हद तक पहचान बनाई. वह 'ब्रह्मास्त्र', 'जाने तू या जाने ना', 'मुल्क', 'बागी-2', 'धोबी घाट', 'छिछोरे' जैसी फिल्मों में छोटे लेकिन अहम किरदारों में नजर आए. उनकी एक्टिंग को सराहना मिली, पर वह भी ज्यादातर सहायक किरदारों तक ही सीमित रहे.