हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाने वाले एक एक्टर को बतौर विलेन देखना दर्शक काफी पसंद किया करते थे. उनकी एक-एक फिल्म का चार्ज बड़े-बड़े हीरो से ज्यादा होती थी. मेकर्स ही नहीं दर्शकों को भी खूब पसंद आते थे. उन्हें पहली फिल्म का ऑफर एक पान की दुकान पर मिला था और बाद में स्टारडम ऐसा हुआ कि एक बार तो फिल्मफेयर अवॉर्ड को भी ठुकरा दिया था. हम बात कर रहे हैं हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता प्राण (Pran) की. एक ऐसा अभिनेता और विलेन जिनकी फिल्में जब-जब सिनेमाघरों में आईं, खूब तारीफें बटोरीं.
अभिनेता प्राण के फिल्मों में आने की दिलचस्प कहानी
एक्टर प्राण ने अपने फिल्मी करियर में 'राम और श्याम', 'मिलन', 'जंजीर' और 'डॉन' जैसी दमदार फिल्में की. तब प्राण की गिनती टॉप अभिनेताओं में होती थी. प्राण के फिल्मों में आने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. दरअसल, प्राण अक्सर लाहौर में एक पान की दुकान पर जाया करते थे. वहां जाकर वे रोज सिगरेट पीते थे. एक दिन इसी दुकान पर फिल्म राइटर वली मोहम्मद पान खाने पहुंच गए. तभी उन्होंने प्राण को सिगरेट का धुआं उड़ाते हुए देखा. वली को प्राण का अंदाज इतना भाया कि उन्हें विलेन बनने का रोल ऑफर कर दिया. उस वक्त वली अपनी एक फिल्म के लिए नए चेहरे की तलाश कर रहे थे.
राजेश खन्ना के बराबर फीस लेते थे प्राण
जब प्राण फिल्मों में आए थे, तब काफी कम बजट वाली फिल्में आया करती थीं. उस वक्त सुपरस्टार राजेश खन्ना का स्टारडम काफी ज्यादा थी और इसी के चलते उनकी फीस भी काफी मोटी हुआ करती थी लेकिन प्राण उन्हें भी टक्कर देते थे. कहा जाता है कि प्राण, राजेश खन्ना के बराबर ही एक फिल्म में फीस लिया करते थे. यही कारण था कि दोनों स्टार्स को एक साथ किसी फिल्म में लेने से मेकर्स भी घबराते थे.
प्राण ने क्यों ठुकराया फिल्मफेयर अवॉर्ड
1973 में फिल्म 'बेईमान' रिलीज हुई, जो खूब हिट रही. दर्शकों को ये फिल्म काफी पसंद आई. इस फिल्म के लिए प्राण को अवॉर्ड दिया जाना था लेकिन उस समय प्राण फिल्मफेयर की सेलेक्शन कमेटी से काफी नाराज थे. प्राण का कहना था कि सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्मफेयर अवॉर्ड 'पाकीजा' फिल्म का संगीत देने वाले संगीतकार गुलाम मोहम्मद को मिलना चाहिए था लेकिन अवॉर्ड फिल्म के म्यूजिक के लिए शंकर-जयकिशन को दिया गया. इस बात से वो इतने ज्यादा खफा थे कि उन्होंने फिल्मफेयर अवॉर्ड लेने से साफ इनकार कर दिया था.