प्राइम वीडियो पर पंचायत सीरीज आपने देखी ही होगी. देखा जाए तो ओटीटी के ऐसे दौर में जब एक्शन, थ्रिल, क्राइम और मेलोड्रामा की भरमार है, एक बिलकुल साफ सुथरी और शांत सीरीज ने कैसे लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया,समझ से बाहर है. ना बड़ी लोकेशन, न बड़े स्टार, गांव और पंचायत के जनजीवन पर बनी इस शानदार सीरीज लोगों का दिल जीत लिया. फुलेरा गांव की शांत गलियों पर बने सेट पर शूट की गई पंचायत लगातार पांचवीं बार भारत की सबसे पसंदीदा वेब सीरीज बन गई है. इसके पीछे कुछ खास वजहें हैं जो पंचायत को हर दिल अजीज बनाती हैं.
क्या है सीरीज की खासियत?
एक ऐसा गांव जहां अधिकतर लोगों के दिल साफ हैं और जुबां गाय सरीखी. यहां सचिव जी बनकर आए अभिषेक त्रिपाठी के आने से लोगों की जिंदगी में हलचल मचती है. सीरीज में प्रधान जी, उनकी पत्नी, प्रहलाद, विकास, बृज भूषण दूबे, विकास के साथ साथ गांव के सभी लोग शांत और भावनात्मक माहौल से भरे हुए हैं. गांव का सच्चा और साफ जीवन लोगों को पसंद आया. अपने जीवन में छोटी छोटी खुशियों को तलाशते गांव के सीधे साधे लोग लौकी को भी काफी अहम मानते हैं. पंचायत सीधे साधे और सरल जीवन को दिखाती है.
दिल छूने वाली अपनी सी कहानी
पंचायत में कॉमेडी को बहुत ही आसान और भावनात्मक तरीके से दिखाया गया है. चाहे किसी की शादी हो या फिर बकरी ही खो गई है, कैसे गांव प्रभावित होता है. ये हर गली मोहल्ले की कहानी है. यहां भूषण और बिनोद जैसे किरदार भी भले ही कुछ वक्त के लिए चालाकी करते हैं लेकिन गांव वाले उनसे नफरत नहीं कर पाते हैं. यही बात फुलेरो को जीवंत बनाती है. चुनाव हो या फिर दूसरे गांव के लड़कों से लड़ाई, सुख दुख में साथ रहने वाले पंचायत सदस्य एक दूसरे के लिए लड़ भी पड़ते हैं. इस सीरीज में कई कुरीतियों पर भी प्रहार किया गया है. वहीं देशभक्ति का भी जज्बा दिखाया है. प्रहलाद के सैनिक बेटे की मौत पर गांव किस तरह टूट कर बिखर जाता है, ये देखने लायक है और संदेश भी देता है.